उत्तर बंगाल के चाय बागानों ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 19 प्रतिशत के बोनस भुगतान पर समझौता कर लिया है। उद्योग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इनमें डुआर्स और तराई शामिल हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में इस क्षेत्र के चाय बागान श्रमिकों को भुगतान किया जाने वाला वार्षिक बोनस 20 प्रतिशत था।
भारतीय चाय संघ (टीएआइ) के महासचिव प्रबीर भट्टाचार्य ने कहा कि प्रबंधन और यूनियनों ने फैसला किया है कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए डुआर्स और तराई के मैदानी इलाकों में चाय बागानों के कर्मचारियों और श्रमिकों को बोनस का भुगतान 19 प्रतिशत होगा।
उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग को छोड़कर उत्तर बंगाल में लगभग 135 चाय बागान परिचालन में हैं। इस बीच दार्जिलिंग के चाय बागानों के लिए बोनस भुगतान का मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ है, क्योंकि यूनियनों ने 20 प्रतिशत की मांग की है, जबकि प्रबंधन ने कहा है कि वे 8.33 प्रतिशत का भुगतान कर सकते हैं।
वित्तीय संकट से गुजर रहा चाय उद्योग
चाय बागान मालिकों के प्रमुख संगठन इंडियन टी एसोसिएशन (आइटीए) ने कहा कि उद्योग गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है और कीमतें बढ़ती उत्पादन लागत के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही हैं। आइटीए ने अपने स्थिति पत्र ‘चाय परिदृश्य 2023’ में कहा कि पिछले दशक में चाय की कीमतें लगभग चार प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी हैं। इस दौरान कोयला और गैस जैसी महत्वपूर्ण चीजों की लागत नौ से 15 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी।
स्थिति पत्र में कहा गया कि 2022 में चाय निर्यात में सुधार के कुछ संकेत दिखे और यह 23.1 करोड़ किलोग्राम तक पहुंच गया, लेकिन 2023 में जनवरी से जुलाई के बीच इसमें 26.1 लाख किलोग्राम की गिरावट आई। उद्योग जगत ने उच्च निर्यात लागत को कम करने और निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी बने रहने में सक्षम बनाने के लिए सरकार से उच्च गुणवत्ता वाली सीटीसी, आर्थोडॉक्स और दार्जिलिंग चाय के निर्यात उत्पादों पर शुल्क या करों में छूट की प्रोत्साहन सीमा बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह किया है।