इस खरीफ में बढ़ेगा कपास का रकबा, बढ़ा किसानों का रुझान

March 08 2022

इस वर्ष कपास का औसत उत्पादन कम होने के बावजूद किसानों को कपास का अच्छा मूल्य मिलने से आगामी खरीफ सत्र में कपास का रकबा बढऩे की संभावना है। यह रुझान कृषक जगत के सर्वे में म.प्र. के प्रमुख कपास उत्पादक जिलों खरगोन, धार, खंडवा, बुरहानपुर आदि के किसानों से हुई चर्चा में सामने आया है। वर्तमान में देश एवं प्रदेश की मंडियों में कपास का भाव अच्छा मिल रहा है। प्रतिदिन 100-200 रुपए की घट-बढ़ हो रही है। म.प्र. की कपास मंडियों में भाव लगभग 8500 रु. क्विंटल के आसपास चल रहे हैं जिससे किसानों में खुशी की लहर है। लाभ में बढ़ोत्तरी हुई है। गुजरात, महाराष्ट्र एवं हरियाणा जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में मंडी भाव क्रमश: 8710, 9400 एवं 9430 रुपये क्विंटल चल रहे हैं जो वर्ष 2021-22 के समर्थन मूल्य से लगभग 3 से 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है। भारत सरकार ने कपास मध्यम का 5726 रुपये एवं लम्बा रेशा का 6025 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया है। इससे कहीं अधिक भाव मंडियों में मिल रहे हैं। यही वजह है किसान खरीफ में कपास का रकबा बढ़ाने की सोच रहे हैं।

कृषक जगत के सर्वे में श्री राजेश मिश्रीलाल अंजनिया, चितावद भुलगांव (सनावद) और श्री दीपक हरेराम पटवारिया , चित्रमोड़ ने आगामी खरीफ सत्र में कपास का रकबा बढऩे की बात कही और कहा कि इस वर्ष मिर्च की फसल खराब होने और उचित दाम नहीं मिलने से बहुत नुकसान हुआ, जबकि इस बार कपास का न्यूनतम मूल्य 6 हज़ार और अधिकतम 10 हज़ार रुपए क्विंटल मिलने से किसान खरीफ में कपास का रकबा निश्चित बढ़ाएंगे। हालाँकि गत खरीफ में वर्षा अधिक होने से कपास के डेंडु सडऩे से औसत उत्पादन 5-6 क्विंटल /एकड़ ही मिला। गुजली सुलगांव (पुनासा) के श्री मुकेश आनंदराम मलगाया, बकावां मर्दाना (बड़वाह ) के श्री भगवान लक्ष्मण शाह ने कपास का रकबा बढऩे की बात कही, वहीं बडूद (बड़वाह) के श्री जितेन्द्र लखनलाल सेजगाया ने 10 प्रतिशत मिर्च और 90 प्रतिशत कपास लगाने की संभावना जताई। सिर्लय (बड़वाह) के श्री संदीप लक्ष्मण पटेल ने कपास और नादिया (खरगोन) के श्री दीपक प्रताप सिंह बर्फा ने कपास के साथ सोयाबीन के भाव भी अच्छा मिलने से इसका रकबा भी अच्छा रहने की बात कही। आली (कुक्षी) के श्री जगदीश मन्नाजी मुलेवा ने कपास का रकबा यथावत रहने और श्री पवन रमेश पाटीदार, निम्बोल ने कहा कि अति वर्षा से मिर्च फसल में हुए नुकसान को देखते हुए किसान कपास फसल की ओर जाएंगे। श्री महेंद्र यशवंत माहले, मोहद (बुरहानपुर) ने कहा कि कपास फसल के आखिर में हुई बारिश से डेंडु सड़ गए, जिससे उत्पादन कम हुआ, लेकिन कपास का भाव अच्छा मिलने से घाटे का समायोजन हो गया।

दूसरी ओर कपास उत्पादक क्षेत्र धामनोद के करीबी गांव बिखरौन के श्री दिनेश सरकार ने जहाँ कपास का रकबा बढऩे की संभावना जताई, वहीं गुलाबी इल्ली के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित होने की भी आशंका प्रकट की। श्री दौलत पटेल (डोल) ने फसलोत्पादन में मौसम की निर्भरता पर कहा कि फूल/डेंडु के समय बारिश हो जाने से बहुत नुकसान होता है, फिर भी इस साल कपास का अच्छा दाम मिलने से अधिकांश किसान कपास लगाएंगे। इसी गांव के अन्य किसान श्री शुभम पटेल ने खरगोन और धार जिले की ज़मीन के हल्की/भारी होने का जिक्र कर कहा कि हल्की ज़मीन में पानी जल्दी सूख जाता है, जबकि भारी ज़मीन में बहुत परेशानी आती है। फूल भी नहीं निकल पाते हैं। जबकि पटलावद श्री दीपक वर्मा ने कहा कि गुलाबी इल्ली की समस्या के कपास का वांछित उत्पादन नहीं मिल पाता है।

जबकि श्री पी के बरगडिय़ा, डिप्टी सीड सर्टिफिकेशन ऑफिसर, धार का नज़रिया अलग पाया गया। उन्होंने कृषक जगत को बताया कि कपास उत्पादन की लागत ज़्यादा आती है। हालांकि इस साल किसानों को कपास का दाम अच्छा मिला है, लेकिन इसके समानांतर सोयाबीन का भी दाम अच्छा मिला है। इसलिए यहां कपास का रकबा बढऩे की सम्भावना कम है। मालवा -निमाड़ में प्राय: बीटी -1 और बीटी -2 का कपास बीज महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश और गुजरात से आता है।

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2021-22 में म.प्र. में 6.16 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई तथा 9.19 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया है वहीं वर्ष 2020-21 में 5.88 लाख हेक्टेयर में कपास बोई गई थी तथा उत्पादन 8.77 लाख टन हुआ था। इसके पूर्व वर्ष 2019-20 में कपास का रकबा तो 6.50 लाख हेक्टेयर था, परन्तु उत्पादन 8.39 लाख टन हुआ था। वहीं देश में दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक वर्ष 2021-22 में 340 लाख टन कपास उत्पादन का अनुमान लगाया गया है जबकि 119 लाख 46 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। उससे पूर्व वर्ष 2020-21 में 126 लाख 80 हजार हेक्टेयर में कपास की बोनी हुई थी और उत्पादन 352 लाख 48 हजार टन हुआ था।

उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में कपास उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। यहां प्रति वर्ष लगभग 6 मिलियन टन से अधिक कपास उत्पादन होता है जो विश्व के उत्पादन का लगभग 23 फीसदी है। वहीं चीन का स्थान दूसरा है।

म.प्र. में मालवा एवं निमाड़ क्षेत्र कपास उत्पादन में अग्रणी है। गत वर्ष की तुलना में बेहतर भाव मिलने से किसानों का रुझान कपास की ओर बढ़ रहा है। इसे देखते हुए खरीफ 2022-23 में राज्य में कपास का रकबा बढऩे से इन्कार नहीं किया जा सकता।

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स्रोत: Krishak Jagat