अब कीटनाशकों की होगी होम डिलीवरी, सरकार ने इस नियम में किया बदलाव

November 29 2022

केंद्र सरकार ने कीटनाशक नियमों में बदलाव किया है. अब किसानों को कीटनाशक की खरीदारी करने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि उन्हें घर पर ही डिलीवरी मिल जाएगी. जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स वेबाइट्स के जरिए कीटनाशक बेचने को कानूनी तौर पर मंजूरी दे दी है. अब कंपनियां कानूनी तौर पर कीटनाशक बेच सकेंगी. खास बात यह है कि अभी Amazon और Flipkart को ही कीटनाशक कानूनी तौर पर बेचने की हरी झंडी मिली है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कीटनाशक बेचने वाली कंपनियों को इसके लिए लाइसेंस लेना होगा. साथ ही कंपनियों को लाइसेंस के नियमों का पालन करना भी अनिवार्य होगा. लाइसेंस वेरीफाई करने की जिम्मेदारी ई-कॉमर्स कंपनी की होगी. वहीं, जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार का यह निर्यण किसानों के हित में है. अब उन्हें कीटनाशक खरीदने के लिए दर- दर नहीं भटकना पड़ेगा. साथ ही आने वाले दिनों में इस नियम की वजह से किसानों के लिए कीटनाशक और सस्ता जा जाएगा. इसके अलावा कीटनाशक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
मुआवजे का ऐलान भी करती है
बता दें कि कीटों के हमले से फसलों की बहुत ही बर्बादी होती है. बहुत से ऐसे भी कीट हैं, जो झुंड में हमला करते हैं और कुछ ही घंटों में पूरी फसल की पत्तियों को चट कर जाते हैं. इससे फसल बर्बाद हो जाती है. एक आंकड़े के अनुसार, भारत में हर साल हजारों हेक्टेयर जमीन पर लगी फसल कीटों की वजह से बर्बाद हो जाती है. ऐसे में किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि, सरकार ऐसी स्थिति में किसानों की मददर करने के लिए मुआवजे का ऐलान भी करती है.
10 करोड़ रुपये की सब्सिडी राशि जारी की थी
वहीं, कल ही खबर सामने आई थी कि कर्नाटक में मीलीबग्स, स्केल्स और स्पाइडर माइट्स जैसे कीट सुपारी की पेड़ों पर हमले कर रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सुपारी के पौधों पर हमला करने वाले कीटों के प्रकोप को रोकने के लिए 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी राशि जारी की थी, ताकि किसान सुपारी के पेड़ों पर कीटनाशक रसायनों का छिड़काव कर सकें.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, सुपारी को नुकसान पहुंचाने वाले सबसे आम कीट मीलीबग्स, स्केल्स और स्पाइडर माइट्स हैं. ये तने और पत्तियों से रस चूसकर पौधे को चित्तीदार बना देते हैं. यदि इस पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो सुपारी की पत्तियां पीली हो जाती हैं और धीरे- धीरे पौधे सूख जाते हैं. खास बात यह है कि जारी राशि का उपयोग चिकमगलूर, शिवमोग्गा और मलनाड जिले में कीटों के हमले से निवारक उपायों को लागू करने के लिए किया जाएगा.