राजस्थान के सवा लाख पशुओं में फैला लंपी स्किन रोग, घट सकता है दूध का उत्पादन

August 05 2022

राजस्थान के पशुओं में लंपी स्किन रोग नामक खतरनाक बीमारी बढ़ती जा रही है. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद देखते ही देखते करीब सवा लाख दुधारू पशु इसकी चपेट में आ गए हैं. इस पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया तो कई जिलों में दूध की कमी हो सकती है. क्योंकि इस रोग से ग्रासित पशु दूध देना बंद या कम कर देते हैं. यहां से हर रोज करीब 29.9 लाख लीटर दूध की बिक्री होती है. इस रोग की चपेट में आने से चार हजार से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है.
बता दें कि राजस्थान पशुपालन वाले सूबों में आता है. यहां पर करीब 13.9 मिलियन गाय हैं. गायों में यह बीमारी ज्यादा है. हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि गौवंशीय पशुओं में लंपी स्किन रोग न सिर्फ राजस्थान बल्कि गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, केरल, असम, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में भी फैल रहा है. उन्होंने दावा किया है कि राज्य सरकार गौवंशीय पशुओं के प्रति सजगता एवं संवेदनशीलता बरतते हुए रोग नियंत्रण के सभी संभावित उपाय कर रही है. इस दावे के बीच हालात का जायजा लेने 6 अगस्त को केन्द्रीय पशुपालन मंत्री के राज्य के दौरे पर आने की संभावना है.
किन जिलों में ज्यादा है संक्रमण
राजस्थान के जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, पाली, सिरोही, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, चुरू, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, उदयपुर, अजमेर व बीकानेर जिलों में लंपी स्किन रोग की पुष्टि हुई है. राज्य सरकार के मुताबिक राज्य में अब तक 1.21 लाख पशु इस बीमार से प्रभावित हुए हैं. इनमें से 94 हजार पशुओं के उपचार के बाद 42 हजार ठीक हुए हैं. गहलोत का कहना है कि पशुधन राजस्थान के किसानों की जीवन रेखा है. गौवंश पशुपालकों को अकाल की स्थिति में आर्थिक संबल प्रदान करते हैं. सदियों से पशुपालक पशुधन के बल पर विपरित परिस्थितियों से लड़ते आ रहे हैं.
रोग से बचाव के लिए कितना बजट जारी हुआ
आपातकालीन आवश्यक औषधियां खरीदने के लिए डिवीजन स्तरीय अजमेर, बीकानेर और जोधपुर कार्यालयों को 8 से 12 लाख रुपये और बाकी प्रभावित जिलों को 2 से 8 लाख रुपये सहित कुल 106 लाख की अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है. यह रकम पूर्व में आपातकालीन बजट में समस्त जिला स्तरीय कार्यालयों तथा बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालयों को आवंटित राशि के अतिरिक्त जारी की गई है. किसान नेता रामपाल जाट का कहना है कि दूध का मामूली उत्पादन घटेगा. जिसका असर न के बराबर होगा. क्योंकि यहां पर दुधारू पशुओं की संख्या मिलियन में है.
मॉनिटरिंग के लिए वाहनों की स्वीकृत
मुख्यमंत्री ने बताया कि आपातकालीन परिस्थितियों को देखते हुए अन्य जिलों के औषधि भंडारों में उपलब्ध औषधियां प्रभावित जिलों में भेजी जा चुकी हैं. रोगी पशुओं का उपचार और प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए 30 अतिरिक्त वाहनों की स्वीकृति जारी की गई है. जयपुर मुख्यालय से भेजे गए नोडल अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इस रोग की निगरानी के लिए प्रभावित जिलों के साथ-साथ जयपुर मुख्यालय पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है.
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स्रोत:tv 9