ये गायें पशुपालकों को कर देंगी मालामाल, कई गुना बढ़ेगा दूध का कारोबार

December 16 2022

ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद आमदनी का सबसे तगड़ा स्रोत पशुपालन को ही माना जाता है। गाय और भैंस पालन के सहारे किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। देसी गायों को पहचानना बेहद आसान है। इन गायों में कूबड़ पाया जाता है। बड़े पैमाने पर किसान राठी, गिर,अमृतमहल जैसी गायों का पालन कर रहे हैं। गिर नस्ल की गाय को भदावरी, देसन, गुजराती, काठियावाड़ी, सोरथी और सुरती भी कहा जाता है। यह गुजरात में दक्षिण काठियावाड़ के गिर जंगलों में उत्पन्न हुई, जो महाराष्ट्र और राजस्थान में भी पाई जाती हैं। इनकी त्वचा का मूल रंग गहरा लाल या चॉकलेट-भूरा होता है। यह कभी-कभी काले या पूरी तरह से लाल भी होती हैं। राठी गाय मूल रूप से राजस्थान की मानी जाती है। ज़्यादा दूध देने की क्षमता को देखते हुए ये दुग्ध व्यवसायियों की पसंदीदा बनी हुई है। राठी नस्ल का नाम राठस जनजाति के नाम पर पड़ा है। यह गाय प्रतिदन औसतन 6 -10 लीटर तक दूध देती है। अच्छी तरह देखभाल करने पर इस गाय की दूध देने की क्षमता 15 से 18 लीटर प्रतिदिन तक हो सकती है।