गोमूत्र खरीद कर क्या करेगी छत्तीसगढ़ सरकार, जानिए इसके बारे में सबकुछ

August 02 2022

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर किसानों से गोबर खरीद के दो साल पूरो होने पर राज्य सरकार द्वारा अब गोमूत्र की खरीदारी शुरू की गयी है. गोमूत्र की खरीदारी करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है. 28 जुलाई को राज्य में मनाए जाने वाले हरेली लिहार के मौके पर राज्य में गोमूत्र खरीद की शुरुआत हुई. इसके साथ ही पहले ही दिन राज्य के 63 गांवों से 2306 लीटर गोमूत्र की खरीदारी की गई थी. सबसे अधिक 304 लीटर गोमूत्र कबीरधाम जिले से खरीदारी गया था.
राज्य में गोमूत्र बिक्री की शुरुआत भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की थी, जिन्होंने एक महिला समूह को चार रुपए प्रति लीटर की दर से पांच रुपए लीटर दूध बेचा था और उससे मिली राशि को तुंरत मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया था. राज्य में गोमूत्र की खरीद छत्तीसगढ़ सरकार की एक प्रमुख योजना गोधन न्याय योजना का ही एक हिस्सा है. इंडिया टूडे के मुताबिक गोमूत्र खरीद कार्यक्रम कोकार्यक्रम को ‘घोटाला’ करार देने वाली विपक्षी भाजपा की आलोचना को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोमूत्र को बिक्री योग्य वस्तु के रूप में जोड़कर दांव उठाया है.
गोमूत्र से बनाए जाएंगे जैविक कीटनाशक
अब सवाल आता है कि गोमूत्र की खरीद करक सरकार की योजना क्या है. इस योजना को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री यह चुके थे की राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्थआ को मजबूत करने और राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों से गोमूत्र की भी खरीदारी सरकार करेगी. वहीं सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि खरीदे गए गोमूत्र का उपयोग जीवामृत बनाने के अलावा जैविक कीटनाशक बनाने के लिए किय जाएगा. जो फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए बूस्टर के तौर पर कार्य करेगा. क्योंकि सरकार पिछले दो वर्षों से खरीद रहे गोबर को वर्मी कंपोस्ट बनाती है और वापस इसे किसानों को बेचती है. गोमूत्र के साथ नहीं सरकार की यही योजना है.
रासायनिक कीटनाशक के इस्तेमाल में आएगी कमी
राज्य सरकार का दावा है कि गोमूत्र से बने उर्वरक और जैविक कीटनाशक धीरे-धीरे रासायनिक उर्वरक औऱ कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम कर देंगे. इसके जरि स्वस्थ और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही कृषि में इनपुट लागत को कम करके इसे और अधिक लाभकारी बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को गति मिलेगी. फिलहाल छत्तीगढ़ के गांवों से सरकार दो रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदती है और 10 रुपए प्रति किलो की दर को वर्मी कंपोस्ट बेचती है. हालांकि अभी तक गोमूत्र से बनने वाले जैविक कीटनाशक की कीमत तय नहीं की गई है.
दो सालों में इतनी रकम का हुआ भुगतान
राज्य में गोधन न्याय योजना के आसपास केंद्रित कुल 8408 गौठान चल रहे हैं. गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से पिछले दो सालों में राज्य सरकार द्वारा गौठानों और स्वयं सहायता समूहो को 300 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. इनमें से 211,000 से अधिक पशुपालकों को 153 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. पिछले दो सालों में सरकार द्वारा 76 लाख क्विंटल गोबर की खरीद की गयी है. इसके अलावा गाय अधारित उत्पाद जैसे अगरबत्ती, साबुन आदि की बिक्री राशि के तौर पर स्वयं सहायता समूहो को 76 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है.

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स्रोत : Tv9