चावल के निर्यात में कमी आने के कारण धान किसान प्रभावित हो रहा है। निर्यात में कमी होने के कारण धान का रेट नहीं बढ़ पा रहा है। रेट के नहीं बढ़ने से जहां किसानों की आय प्रभावित हो रही है वहीं मंडी की आय पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा। भारत की जलवायु हिसाब से भारत में धान की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है। यूपी, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी बंगाल समेत देश के कई प्रदेशों के किसान बड़ी संख्या में धान की खेती करते हैं।
किसानों को वाजिब दाम नहीं मिलने के कारण उसकी आय प्रभावित हो रही हैं। बताया कि धान कीमत में वृद्धि नहीं होने से जहां किसान की आय प्रभावित हो रही है। वही मंडी समिति की आय पर इसकी सीधा प्रभाव पड़ेगा। कीमत में वृद्धि नहीं होने के कारण गत वर्ष के मुकाबले चालू वर्ष में मंडी समिति को 24 लाख रूपये का मंडी शुल्क कम प्राप्त होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। उन्होंने बताया कि धान की फसल के पककर तैयार होने पर बारिश और खराब मौसम के कारण चालू वर्ष में धान की पैदावार कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। मगर संभावना के उलट धान की पैदावार गत वर्ष के मुकाबले में अधिक है। बताया कि चालू सीजन में मंडी व्यापारी 18 नवंबर तक करीब 1,61,770 क्विंटल धान की खरीद कर चुके हैं।
जबकि गत वर्ष मंडी व्यापारियों ने 18 नवंबर तक करीब 1,56,925 क्विंटल धान की खरीद की थी। बताया कि गत वर्ष धान की औसत कीमत प्रति क्विंटल 32 रूपये थी। जबकि चालू वर्ष में धान की औसत कीमत प्रति क्विंटल 24 रूपये है। धान के निर्यात में कमी आने के कारण चालू वर्ष में धान के रेट में प्रति क्विंटल 800 रूपये की कमी आई है। बताया कि मौजूदा समय में सरबती बासमती का रेट 1861 रूपे प्रति क्विंटल, सुगंध बासमती का रेट 22 सौ से 2250 रूपये प्रति क्विंटल, 1509 बासमती का 2450 रूपये से 2500 प्रति क्विंटल, 1121 बासमती का 2775 रूपये प्रति क्विंटल है। बताया कि गत वर्ष मंडी के व्यापारियों ने करीब 1,90000 क्विंटल धान की खरीद की थी। वही मंडी क्षेत्र में स्थित राइस मिलों ने करीब 40 हजार क्विंटल धान की खरीद की थी। चालू सीजन में गत वर्ष के मुकाबले धान की अधिक खरीद की संभावना व्यक्त की जा रही है।
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स्रोत: अमर उजाला