जम्मू में सेब की क्रांति, फलों से लदे पेड़, मैदानी इलाकों में बंपर पैदावार

July 03 2020

सेब की हरिमन-99 प्रजाति इस फल की खेती के मिथक तोड़ रही है। जम्मू-कश्मीर के गरम इलाकों में भी सेब की खेती का प्रयोग सफल रहा है। जनवरी, 2016 में सांबा जिले में विजयपुर के पास रांजड़ी स्थित मधु परमहंस आश्रम में लगाए गए 550 पौधे सेब से लदे हुए हैं। पर्वतीय इलाकों का ताजा सेब जहां अभी बाजार में नहीं पहुंचा है, वहीं हरिमन-99 सेब का सीजन पूरा होने जा रहा है। प्रदेश में इस प्रजाति पर काम कर रहे डॉ. केसी शर्मा अब हर घर कम से कम सेब का एक पेड़ लगवाने का अभियान चला रहे हैं।

सर्जन डॉ. शर्मा ने बताया कि हिमाचल के बिलासपुर जिले के बागवान हरिमन शर्मा ने यह प्रजाति तैयार की है। उन्हीं के नाम से इसे हरिमन-99 समर जोन एपल का नाम दिया गया है। प्रयोग के तौर पर इसका पौधरोपण राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली समेत देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया है।

इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर के प्रमुख बड़े संस्थानों और सांबा जिले में मधु परमहंस आश्रम रांजड़ी परिसर में बड़े स्तर पर पौधे लगाए गए थे। सबसे भारी सेब का वजन 306 ग्राम जबकि औसत वजन 250 ग्राम तक पाया गया है। अब यहां लोग विशेष रूप से सेब देखने पहुंच रहे हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग के तहत काम कर रहे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के अनुसार हरिमन-99 सेब को चिलिंग ऑवर की जरूरत नहीं पड़ती। इस पर स्कैब रोग भी असर नहीं करता। जून की शुरुआत से फलों का तुड़ान किया जा सकता है। देश के सभी राज्यों में यह पौधे लगाए थे, जो अब फल दे रहे हैं।

सेब की इस प्रजाति का पौधा ठीक 13 महीने बाद फल देने लगता है। गर्म से गर्म इलाके में भी इसकी पैदावार पर असर नहीं पड़ता। इसकी खेती के प्रयोग में जो भी जानकारी जुटाई गई, उस पर किताब तैयार की गई है। किताब का विमोचन श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. आरके सिन्हा और मधु परमहंस द्वारा किया गया। मकसद हर घर में सेब का कम से कम एक पौधा लगाना है। इससे एनीमिया ग्रस्त लोगों को सबसे ज्यादा लाभ होगा। कई घरों में गमले में लगाए गए पौधे पर भी सेब लग रहे हैं।

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स्रोत: Amar Ujala