गोमूत्र मिले पानी से सिंचाई कर तैयार किया जैविक प्याज

March 26 2019

छोटे किसान जो रासायनिक उर्वरकों का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए एक सुखद खबर है। वे कम रकबे में ही साक-सब्जी की जैविक खेती कर अच्छी खासी आमदनी कर सकते हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आइजीकेवी) में पहली बार गोमूत्र व गोबर युक्त पानी की सिंचाई कर प्याज की फसल ली गई है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रयोग सफल रहा है। इस पद्घति से जहां उत्पादन अधिक होगा, वहीं फसल की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट होगी। बाजार में इसकी कीमत भी सामान्य फसल से अधिक मिलेगी। उनके मुताबिक बड़े किसानों के लिए भी यह पद्घति लाभदायी साबित होगी। इससे पशुपालन को भी बढ़ावा मिलेगा।

हाईब्रिड फल और सब्जियों से बाजार इन दिनों पटा हुआ है। उपभोक्ताओं के सामने भी इनका ही उपयोग करने की मजबूरी है। ऐसे में आइजीकेवी नया रास्ता लेकर आया है। जैविक रूप से साक-सब्जी की फसल लेने की यहां शुरुआत की गई है। यहां एक एकड़ 33 डिसमिल में तैयार हो रही प्याज की फसल में रासायनिक उर्वरक का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया गया है। फसल लगभग तैयार है, जो देखते ही बनती है।

इस तरह अपनाई प्रक्रिया

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यहां ली गई प्याज की फसल में विश्वविद्यालय के डेयरी अनुदेशक विभाग में तैयार कम्पोस्ट खाद और गोमूत्र को बोरवेल के पानी में मिलाकर समय-समय पर सिंचाई की गई है। इसके बाद किसी रासायनिक खाद की जरूरत ही नहीं पड़ी और फसल एकदम शानदार है। उनके मुताबिक प्याज की खेती के लिए उचित जलनिकास व जीवांशयुक्त उपजाऊ दोमट और बलुई दोमट भूमि होनी चाहिए। इसका पीएच मान 6.5-7.5 के मध्य हो सर्वोत्तम होगा। प्याज को अधिक क्षारीय या दलदली मृदाओं में नहीं उगाना चाहिए।

पत्तियां सूखने लगें तो रोक दें सिंचाई

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि खरीफ प्याज की फसल लगभग पांच माह में खोदाई के लिए तैयार हो जाती है। जैसे ही प्याज की गांठ पूरा आकर ले ले और पत्तियां सूखने लगें, तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। पौधों के शीर्ष को पैरों से कुचल देना चाहिए। इससे कंद ठोस हो जाते हैं और उनकी वृद्घि रुक जाती है। कुछ दिनों बाद कंद को खोदकर निकालें और खेत में ही कतार में रखकर सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए।

वर्सन

शानदार फसल तैयार है

जैविक खेती को प्रमुखता लेते हुए विश्वविद्यालय में पहली बार जैविक पद्वति से प्याज की फसल ली गई है। रेडमासी प्याज के बीज का उपयोग किया गया है। फसल बहुत शानदार है, जिससे उम्मीद है कि पैदावार भी बेहतर होगा।

डॉ. वीसी जैन

जनसंपर्क अधिकारी, आइजीकेवी

 

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स्रोत: नई दुनिया