कृषि क्षेत्र के लिए केंद्र का नया तोहफा-अब सिर्फ 75 दिन में ही पूरी हो जाएगी ट्रैक्टर की टेस्टिंग

August 03 2022

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने एक अहम फैसला लेते हुए ट्रैक्टर टेस्टिंग के समय में कटौती कर दिया है. अब 9 महीने की बजाय सिर्फ 75 दिन में ही टेस्टिंग पूरी हो जाएगी. जिससे खेती में ट्रैक्टरों के नए मॉडल जल्दी आएंगे. इससे किसानों का काम आसान होगा. कंपनियां किसानों की सहूलियत और नई टेक्नोलॉजी के हिसाब से नए ट्रैक्टर मार्केट में लॉंच कर सकेंगी. जब भी कोई नया ट्रैक्टर मार्केट में आता है उससे पहले उसकी बुदनी, मध्य प्रदेश में टेस्टिंग होती है. यहां से ओके की रिपोर्ट मिलने के बाद ही उसे मार्केट में उतारा जा सकता है.
बुधनी में केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन काम करने वाला सेन्ट्रल फार्म मशीनरी ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (CFMTTI) है. सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत किसानों और ट्रैक्टर कंपनियों को यह तोहफा दिया है. ट्रैक्टर के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में काफी तरक्की हुई है. अब इलेक्ट्रिक और सीएनजी ट्रैक्टर बाजार में आ रहा है. ताकि महंगे होते डीजल का किसानों पर बोझ न पड़े. कुछ विश्वविद्यालयों में इंजीनियरिंग के छात्र भी किसानों की जरूरत के हिसाब से ट्रैक्टर विकसित करने में जुटे हुए हैं. ऐसे में सरकार का यह फैसला बड़ी राहत देगा.
यहां पर ट्रैक्टरों की टेस्टिंग करवाना है जरूरी
सेन्ट्रल फार्म मशीनरी ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट 1955 से काम कर रहा है. यह कृषि क्षेत्र में मशीनों की बदलती जरूरतों के साथ तालमेल बिठाता है. कंपनियों को उपकरणों में बदलाव करने के लिए हिदायत देता है. ट्रैक्टर कंपनियों को अपना ट्रैक्टर टेस्टिंग करवाने के लिए बुधनी के इस संस्थान में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. उसके बाद टेस्टिंग फीस भरने पर टेस्ट का नंबर आता है. इस प्रोसेस में पहले 9 माह लगते थे जिसे अब सिर्फ ढाई महीना कर दिया गया है. यह निर्देश 15 अगस्त से लागू होंगे. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है.
सालाना औसतन आठ लाख ट्रैक्टर की हो रही बिक्री
ट्रैक्टर की बिक्री को कृषि क्षेत्र की तरक्की से जोड़कर देखा जाता है. जब किसानों के पास पैसा ज्यादा होता है तब वो ट्रैक्टर की खरीद करता है. एक ट्रैक्टर औसतन 8 लाख रुपये का पड़ता है. देश में पिछले दो-तीन साल से सालाना औसतन 8 लाख ट्रैक्टर बिक रहे हैं. हम देख रहे हैं कि हर साल नए-नए मॉडल और फीचर के ट्रैक्टर आ रहे हैं.
अब खासतौर पर छोटे ट्रैक्टरों का जमाना आ रहा है. क्योंकि भारत में खेती की जोत कम हो रही है. ऐसे में अब सरकार के इस फैसले से किसानों को उनकी सहूलियत वाले ट्रैक्टर ज्यादा जल्दी मिलेंगे. भारत ट्रैक्टरों का बड़ा एक्सपोर्टर भी है. अब भारतीय ट्रैक्टर कंपनियां दूसरे देशों के लिए भी जल्दी जल्दी नए मॉडल तैयार करके बेच पाएंगी.
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स्रोत:tv 9