लोकल से ग्लोबल बना गोबर, मिर्जापुर से दक्षिण कोरिया तक हो रहा एक्सपोर्ट

May 23 2022

गोबर कृषि (Agriculture ) के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है, पूरी दुनिया अब इस बात को समझने लगी है. यही कारण है कि उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले के गोबर की पूछ विदेशों में हो रही है. यहां के गोबर (Cow Dung) की इन दिनों विदेशों में काफी डिमांड है. मिर्जापुर से गोबर आपूर्ति साउथ कोरिया सहित देश के कई राज्यों में की जाती है. गोबर के जरिए जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है. इससे जमीन का उत्पादन बढ़ता है. साथ ही इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है और लंबे समय तक किसान (Farmers) खेती कर सकते हैं. इतना ही नहीं गोबर के इस्तेमाल से पर्यावरण और मिट्टी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. गोबर के इस्तेमाल से उत्पादन भी बढ़ता है. मिर्जापुर में सालाना 20 हजार क्विंटल गोबर का उत्पादन होता है.
मिर्जापुर से गोबर को विदेशों तक पहुंचाने के जिले के सीखड़ प्रखंड के मुकेश पांडे सौरभ का योगदान है. उन्होंने कृषि विभाग मिर्जापुर के सहयोग से नवचेतना एग्रो सेंटर प्रोड्यूसर कम्पनी की शुरुआत की है. इस संस्था को नाबार्ड (Nabard) का समर्थन प्राप्त है. मुकेश पांडे गांव की गलियों और सड़कों पर बिखरे हुए पशुओं के गोबर को एकत्रित करवाते है. साथ ही डेयरी फार्म चलाने वाले लोगों और पशुपालकों से दो रुपए प्रतिकिलो की दर से गोबर खरीदने का काम करते है.
20 हजार कुंतल सलाना है उत्पादन
नवचेतना एग्रो सेंटर प्रोड्यूसर कम्पनी द्वारा खरीदे हुए गोबर का फार्मेशन करके उसका वर्मी कम्पोष्ट खाद तैयार किया जाता है. वर्मी कंपोस्ट खाद को तैयार करने में कई चरण लगते हैं. इस तरह से सालाना यहां पर 20 हजार क्विंटल इस खाद का उत्पादन किया जाता है. मुकेश पांडे सौरभ कहते है कि, हमारी इस खाद की साउथ कोरिया में काफी डिमांड है इसके अलावा हम देश के करीब 10 राज्यों में इसकी आपूर्ति करते है. देश के राज्यों की बात करें तो हरियाणा, पंजाब ,बिहार , मध्यप्रदेश सहित कई जगहों पर इसकी आपूर्ति की जा रही है.
2 रुपए किलो खरीदते है गोबर
मुकेश पांडे सौरभ ने कहाकि, हम इसके लिए कच्चा माल यानी गोबर सीखड़ सहित आसपास के करीब 25 गांव से खरीदते है और उसका 2 रुपए प्रतिकिलो भुगतान भी करते है. यहीं नहीं हम सड़को पर फैले गोबर को एकत्रित भी करवाते है. उप निदेशक कृषि अशोक उपाध्याय कहतें है कि, इस खाद के प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती और उत्पादन भी अधिक होता है. यह खाद जैविक खाद होती है और इससे उत्पादित अनाज हमारे शरीर को नुकसान भी नहीं पहुचाता है.
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स्रोत: Tv-9