जैविक राज्य बनने की तरफ बढ़ रहे उत्तराखंड के कदम, किसानों का बढ़ रहा रुझान

February 22 2022

उत्तराखंड के कदम जैविक राज्य बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। बाजार में जैविक उत्पादों की मांग को देखते हुए प्रदेश के किसानों का रुझान भी जैविक खेती के प्रति बढ़ रहा है। यही वजह है कि बीते चार सालों में उत्तराखंड में जैविक खेती का रकबा बढ़ा है। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 6100 क्लस्टरों के माध्यम से 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के अधीन लाने पर काम चल रहा है।

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में कृषि क्षेत्रफल में कमी आई है। 20 सालों में 15 से 17 प्रतिशत की कृषि क्षेत्रफल कम हुआ है। वर्तमान में 6.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग नौ लाख किसान खेती कर रहे हैं। उत्तराखंड को जैविक राज्य बनाने की दिशा में किसानों ने जैविक खेती की तरफ कदम बढ़ाए हैं। जिससे जैविक खेती का रकबा बढ़ रहा है।

साढ़े चार लाख किसान कर रहे जैविक खेती

चार साल पहले प्रदेश में 16 हजार हेक्टेयर पर ही जैविक खेती होती थी। जो बढ़ कर 2.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है। कुल कृषि क्षेत्र के 34 प्रतिशत पर जैविक विधि से परंपरागत फसलों, फल, सब्जी, दालें, जड़ी-बूटी, एरोमा फसलों की खेती की जा रही है। लगभग साढ़े चार लाख किसान जैविक खेती कर रहे हैं।

उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के प्रबंध निदेशक विनय कुमार का कहना है कि प्रदेश के किसान अब जैविक खेती की तरफ प्रोत्साहित हो रहे हैं। जिसकी वजह से जैविक खेती का रकबा हर साल बढ़ रहा है। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 6100 क्लस्टरों के माध्यम से 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के दायरे में लाने की योजना है। इस पर काम चल रहा है। जबकि 4600 क्लस्टरों पर किसान जैविक खेती कर रहे हैं।

पीजीएस प्रणाली से जैविक उत्पाद के गुणवत्ता की गारंटी

सहभागिता जैविक प्रतिभूति प्रणाली (पीजीएस) जैविक उत्पादन की एक  ऐसी प्रक्रिया है, जो स्थानीय स्तर पर उत्पादक और उपभोक्ता की भागीदारी को सुनिश्चित कर तृतीय पक्षीय प्रणामीकरण प्रक्रिया से अलग रहकर उत्पाद गुणवत्ता की गारंटी देती है। पीजीएस प्रणाली के तहत वर्तमान में 1.20 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न और 1.30 लाख मीट्रिक टन फल व सब्जियों का उत्पादन हो रहा है।

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स्रोत: Amar Ujala