गोबर से खाद बनाने वाली योजना हुई फेल

January 18 2022

नगर पंचायत में गोधन न्याय योजना फेल होती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री गोधन न्याय योजना के अंतर्गत 63033 किलो गोबर 126066 रुपए में खरीदा इसे वर्मी कंपोस्ट के जरिए 41 क्विंटल खाद बनाई गई है। इसमें 20 क्विंटल खाद को 10 रुपए की दर से बेचा गया। इसकी कीमत 20 हजार रुपया है और 21 क्विंटल खाद बेचने से 21000 रुपए आएंगे कुल मिलाकर नगर पंचायत को 85066 रुपए का घाटा झेलना पड़ा। वहीं वर्मी कंपोस्ट व एसएलआरएम सेंटर के लिए 12 कर्मचारी लगाए गए है, जिनका वेतन छह हजार रुपये है, 12 कर्मचारियों को 72000 प्रति माह देना होता है। सीएमओ ने बताया कि दो रुपये की दर से सफाई कर्मियों से गोबर खरीदा जा रहा है। इधर सरकार की नजर में यह योजना कारगर साबित हो रही। इसे लेकर राज्य सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है मगर धरातल पर हकीकत कुछ और ही बया करती है। सांड्रापारा में एसएलआरएम सेंटर बनाया गया है, इससे निकलने वाले कबाड़ की आमदनी ना के बराबर है। अब यह सेंटर भी उजाड़ सा नजर आने लगा है।

चार साल में 10 हजार का कबाड़

चार सालों में कचरे से अलग कर कबाड़ से दस हजार की आमदनी की गई है। नगर से कचरा उठाकर वर्गी कंपोस्ट शेड में इकठ्ठा किया जाता है व सूखा, गिला कचरा, प्लास्टिक समान, बोतल, लोहा, पेपर, खड्डा आदि को अलग किया जाता है, सभी को कबाड़ के रूप में बेचकर नगर पंचायत को आमदनी होती है, वहीं आमदनी चार साल में 10 हजार रुपए हुई है।

काउचर के बिना अधूरा है गोठान

गोठान की व्यवस्था छह महीने से बनकर तैयार है, इधर नगर पंचायत सीएमओ का कहना है कि बिना काउचर के गोठान में जानवरों को नही पहुंचाया जा सकता है। काउचर खरीदी करने की तैयारी की जा रही है, उसके बाद ही गोठान में चरवाहा, चारा की व्यवस्था की जाएगी।

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स्रोत: Nai Dunia