अब किसान जैविक खेती करके बढ़ा सकते हैं अपनी आय

December 11 2021

भारत में जैसे जैसे विज्ञान का विकास हुआ है, इसका असर खेती पर भी देखने को मिला है। खेतों में अब नए आधुनिक यंत्रों और तकनीक का उपयोग होने लगा है। पहले किसान खेती करने के लिए प्राकृतिक खाद का उपयोग करते थे लेकिन अब ज्यादा पैदावार के लिए रासायनिक खाद का उपयोग करने लगे हैं। जिसका असर हमारे स्वास्थ्य के साथ साथ पर्यावरण पर भी दिखने लगा है। कम उम्र में ऐसी बीमारी शरीर को घेर लेती है, जो अंदर से शरीर को धीरे-धीरे कमजोर करने लगती है। रासायनिक खाद का प्रयोग करने से खेत की उर्वरक क्षमता भी कम होने लगी है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो खेत भी एक दिन बंजर हो जाएंगे जिससे खेती के लायक भूमि ही नहीं बचेगी। अब सरकार का भी ध्यान इस तरफ गया है और रासायनिक खाद का उपयोग कम करने के लिए योजनाएं ला रही है। जैविक खाद का उपयोग करने की दिशा में काम भी कर रही है।

परम्परागत कृषि विकास योजना क्या है

इस योजना की शुरुआत भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग के अंतर्गत शुरू की गई थी। इस योजना में किसानों को खेतों को कलस्टर बना कर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस प्रक्रिया से सरकार जैविक खेती पर विशेष ध्यान दे रही है।

किसान कैसे लाभ ले सकते हैं

 वैसे तो ये योजना केंद्र सरकार ने शुरू की है लेकिन इसको लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की हैं। इस योजना के तहत पचास एकड़ का कलस्टर तैयार किया जाता है और एक कलस्टर में पचास या इससे अधिक किसानों को शामिल किया जाता है। सरकार ने जब यह योजना बनाई थी तब तीन साल में एक हजार कलस्टर बनाने का लक्ष्य रखा गया था।

योजना का लाभ कैसे लें

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को कृषि एवं सहकारिता विभाग के राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद में अपना पंजीकरण करवाना होता है। इसके अलावा आप अपने राज्य या जिले के कृषि विभाग में भी जाकर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण के लिए किसान को किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता है। योजना में किसान को खेती के लिए तीन साल तक प्रति एकड़ कुछ हजार रूपये देने का प्रावधान है। इन रुपयों से किसान खेती के लिए जरूरी उपकरण,बीज,फसल को बाजार में ले जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था कर सकते हैं।

योजना से क्या लाभ होंगे 

इस योजन से किसानों को जैविक खेती करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही फसल जहरीले कीटनाशक से मुक्त होगी। इससे फसल शुद्ध पैदा होगी और स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। किसानों की आय भी बढ़ेगी। व्यापारी वर्ग को भी एक अच्छा बाजार मिलेगा और किसान प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ेंगे।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Amar Ujala