इसलिए सिर्फ 10 रुपये किलो के रेट पर अंगूर बेचने को मजबूर हैं किसान, कहीं शोषण न शुरू कर दें वाइन निर्माता

April 21 2020

कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में जर्मनी, इंग्लैंड और नीदरलैंड भी शामिल हैं. ये तीनों देश भारतीय अंगूर (Grape) के सबसे बड़े मुरीद और आयातक हैं. इस बार कोविड-19 की वजह से एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ है. जिससे अंगूर उत्पादक (Grape Grower) उसे डोमेस्टिक मार्केट में औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. महाराष्ट्र के किसानों को अंगूर महज 5-10 रुपये किलो में बेचना पड़ रहा है. इससे उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही. दूसरी ओर वही अंगूर घरेलू रिटेल मार्केट में 90 से 100 रुपये किलो बिक रहा है.

कोरोना वायरस के प्रकोप ने सप्लाईचेन को तोड़ दिया है. जिसकी वजह से किसान अपनी उपज औने-पौने दाम में बेच रहा है और क्रेता उसका ज्यादा दाम चुका रहा है. इससे बिचौलिए की चांदी है. किसान नेताओं का कहना है कि सप्लाई चेन ठीक रहती तो न तो किसानों (farmers) को इतना कम दाम मिलता और न ही खरीदने वाले को ज्यादा दाम देना पड़ता. पैकेजिंग और स्टोरेज की सही व्यवस्था तो अंगूर कुछ दिन बच सकता है. लेकिन ऐसा कोई इंतजाम नहीं है.

अंगूर उत्पादकों के लिए किसान संघ की दो मांग 

राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद ने कहा, ‘कोरोना की वजह से अंगूर का एक्सपोर्ट (Grapes export) भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसलिए किसान अब इसे घरेलू मार्केट में खपाने की कोशिश करेंगे. ऐसे में वाइन बनाने वाली कंपनियां उनका शोषण कर सकती है. इसकी चिंता ज्यादा है. इसलिए सरकार से मेरी दो मांग है. पहली ये कि सरकार फौरी राहत देने के लिए अंगूर का न्यूनतम रेट तय कर दे, ताकि वाइनरी लॉबी किसानों का शोषण न कर पाए. दूसरा ये कि जो भी एक्सपोर्ट क्वालिटी का अंगूर है उसको प्रिजर्व करने के लिए इंतजाम करे. ताकि माहौल ठीक होने के बाद एक्सपोर्ट किया जा सके.

खेत से निकालने का रेट भी नहीं मिल रहा 

ग्रेप्स ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सोपान कंचन ने न्यूज 18 को फोन पर बताया कि लॉकडाउन की वजह से अंगूर खेत से सिर्फ 5 से 10 रुपये किलो बिक रहा है. यह निकालने का भी रेट नहीं है. नासिक, पुणे, सोलापुर और सांगली आदि में इसकी खूब खेती होती है. पूरे महाराष्ट्र में लगभग 4 लाख एकड़ में अंगूर का उत्पादन है. मंडिया अच्छी तरह से खुल जाएं तो भी हमें मदद हो सकती है. 10-15 दिन की कटाई बची है. लॉकडाउन खुलने के बाद हम अंगूर की खेती को लेकर लांग टर्म स्ट्रेटजी बनाएंगे ताकि ऐसी कोई दिक्कत आने पर किसानों को नुकसान न हो.

कॉल सेंटर कर सकता है मदद 

उधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान राज्यों के बीच कृषि उत्पादों की ढुलाई की समस्या के समाधान के लिए कृषि परिवहन कॉल सेंटर शुरू किया गया है. इसका नंबर 18001804200 और 14488 है. ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत आ रही है तो इसकी मदद ली जा सकती है.

भारत में अंगूर उत्पादन

एपिडा (APEDA-Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के मुताबिक  भारत में अंगूर की 20 से अधिक किस्में होती हैं. हालांकि, केवल एक दर्जन ही कॅमर्शियल रूप से उगाई जाती हैं. अंगूर उत्पादक प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश हैं.

70 देशों में एक्सपोर्ट

दुनिया के लिए भारत ताजा अंगूर का बड़ा निर्यातक है. साल 2018-19 में करीब 70 देशों में 24,61,337.65 क्विंटल निर्यात किया. जिससे 2,335.24 करोड़ रुपये  मिले. नीदरलैंड, रूस, यूके, बांग्लादेश, जर्मनी और संयुक्त अरब अमीरात प्रमुख आयातक हैं.


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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी