इस हल्दी को मिल गया है जीआई प्रमाणन

April 09 2019

ओडिशा के कंधमाल में आदिवासियों के द्वारा उगाई जाने वाली हल्दी को भौगौलिक पहचान (जीआई प्रमाणन) मिल गया है। दरअसल यहां पर सेंट्रल टूल रूम ऐंड ट्रेनिंग सेंटर में स्थापित इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी आफ फैसिलिटेशन सेंटर के प्रमुख ने बताया है कि कंधमाल की हल्दी को भौगौलिक संकेतिक पंजीयक से जीआई पहचान मिल गई है। दरअसल यहां की हल्दी चिकित्सीय गुणों के कारण भी इसका दावा हुआ था। इस हल्दी की फसल को नकदी क्षेत्र की फसल भी कहा जाता है। अब यहां कंधमाल की हल्दी को विधिक संरक्षण प्राप्त हो गया है। इससे इसकी आने वाले समय में वैश्विक पहचान भी बढ़ जाएगी। सबसे ज्यादा यह हल्दी अपनी औषधियां विशेषताओं को लेकर प्रसिद्ध है।

ओडिशा सरकार ने किया आवेदन

दरअसल हल्दी के जीआई टैग के लिए ओडिशा सरकार ने हल्दी को भौगोलिक मान्यता देने हेतु आवेदन को प्रस्तुत किया था। हल्दी को भौगोलिक मान्यता देने हेतु आवेदन को प्रस्तुत किया था। दरअसल इससे पहले ओडिशा में पश्चिम बंगाल के साथ रसगुल्ले को लेकर भी विवाद चल रहा है जो कि ओडिशा के हाथ से निकल चुका है। ओडिशा सरकार इस बात के बाद काफी सावधान है। सरकार की ओर से सेंट्रल रूम औरट्रेनिंग सेंटर के दावार जारी की अर्जी के संबंध में बताया गया है कि कंधमाल हल्दी की गुणवत्ता और इसकी पूर्ण स्वतंत्रता पर पिछले दो साल से अनुंसधान जारी हुआ है। अब सारे जांच तथ्यों को परखने के बाद इस तरह का प्रमाण जारी किया गया है। देश के अन्य स्थान पर उत्पादित हल्दी के मुकाबले कंधमाल की हल्दी का रंग सोने की तरह सुर्ख होता है और इसमें कई तरह के उत्तम गुण पाए जाते है। यहां की 15 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती से जुड़ी हुई होती है।

हल्दी इसीलिए खास

अगर हम ओडिशा के कंधमाल की हल्दी के बारे में बात करें तो स्थानीय लोग ही नहीं शासन तंत्र भी कंधमाल की हल्दी को स्वतंत्रता का प्रतीक यानी की असली उपज मानते है। इस हल्दी का कोई भी औषधीय उपयोग करने पर दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसकी खासियत यह है कि इसके उत्पादन में किसानों के जरिए कोई भी कीटनाशक का उपयोग नहीं होता है। यह वास्तव में अपनी गुणवत्ता के लिए काफी ज्यादा आगे है।

 

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स्रोत: कृषि जागरण