आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए दो नई किस्मों को मिली मंजूरी

October 21 2023

हरियाणा के हिसार में स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 41वीं अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय कार्यशाला के तीसरे व अंतिम दिन आलू की दो नई किस्मों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में खेती के लिए जारी करने की स्वीकृति दे दी गई है। 

क्या है आलू की इन नई किस्मों की खासियत 

आलू की एम.एस.पी/16-307 और कुफरी सुखयाति किस्में अधिक पैदावार देने वाली हैं तथा इनकी भंडारण क्षमता भी अधिक है। एम.एस.पी/16-307 किस्म की विशेषता यह है कि इसके आलू व गुदा बैंगनी रंग के हैं और यह 90 दिन में खुदाई हेतु तैयार हो जाती है, जबकि कुफरी सूख्याति किस्म मात्र 75 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। वैज्ञानिकों ने इन किस्मों को देश के उत्तरी, मध्य और पूर्वी मैदानी इलाकों के लिए जारी करने की सिफारिश की है।

कार्यशाला के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में देश के विभिन्न राज्यों के 25 अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना केंद्रों से आये वैज्ञानिकों ने आलू की पैदावार बढ़ाने, उन्नत किस्में, भंडारण, खाद्य सुरक्षा सहित नवाचारों से संबंधित विषयों पर मंथन किया। 

उत्पादन एवं उत्पादकता में लाना है सुधार 

सहायक महानिदेशक (फल-सब्जी-मसाले और औषधीय पौधे) डॉ. सुधाकर पांडे ने इस अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए भारत में आलू प्रसंस्करण में भारतीय किस्मों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आलू अनुसंधान में सटीक जैविक व अजैविक दबाव सहिष्णुता, पूर्वानुमान मॉडल और जलवायु परिवर्तन परिदृश्य में उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा नवीन फसल सुधार और उत्पादन प्रोद्योगिकी को लागू कर व उत्पादकता अंतराल को कम करके उत्पादन में सुधार लाया जा सकता है। सहायक निदेशक ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में आलू के गुणवत्तापूर्ण बीज की आवश्यकता को कम करने के लिए बीज उत्पादन को प्राथमिकता तथा आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए नवाचारों से जुड़ने के लिए आह्वान किया।

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स्रोत: किसान समाधान