अब पंजाब के इस जिले में ग्लैंडर्स की दस्तक, इस तैयारी में पंजाब सरकार

June 26 2023

पंजाब में घोड़ों की जानलेवा बीमारी ग्लैंडर्स का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इस बीमारी ने अमृतसर में दस्तक दे दी है। अजनाला तहसील के गांव तरीन को बीमारी का एपीसैंटर यानी केंद्र घोषित किया गया है, जबकि करीब 5 किलोमीटर दायरे को संक्रमित क्षेत्र मानते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। ग्लैंडर्स का पंजाब में यह चौथा मामला है। वैसे तो 2023 में पहली बार इस बीमारी ने होशियारपुर के बी.एस.एफ. कैम्प में दस्तक दी थी लेकिन मई महीने में लगातार 2 मामलों की पुष्टि ने पंजाब पशुपालन विभाग की चिंताएं बढ़ा दी। विभाग ने गलैंडर्स के कंट्रोल को लेकर भारत सरकार की तरफ से जारी एक्शन प्लान को अमल में लाते हुए नोटिफिकेशन जारी की व घोड़ापालकों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया।

2023 का यह चौथा मामला

2023 के दौरान पंजाब में ग्लैंडर्स बीमारी का चौथा मामला सामने आया है। फरवरी में होशियारपुर में पहले मामले ने दस्तक देने के बाद 12 मई को बठिंडा के लहरा मोहब्बत में ग्लैंडर्स वायरस ने दस्तक दी थी। इसके 16 दिन बाद 29 मई को लुधियाना के भामियां कलां में वायरस ने दस्तक दी है। इसी कड़ी में अब 19 जून को अजनाला तहसील के गांव तरीन में वायरस की पुष्टि हुई है।

बीमारी के विकराल होने पर लगेगा विराम 

अधिकारियों की मानें तो उम्मीद थी कि अब ग्लैंडर्स का नया मामला पंजाब में सामने नहीं आएगा लेकिन जून में भी ग्लैंडर्स ने पीछा नहीं छोड़ा है। इसीलिए अब पंजाब सरकार घोड़ों की आवाजाही व पशुओं के मेले व प्रदर्शनी पर अंकुश लगाने का विचार कर रही है। हालांकि नेशनल एक्शन प्लान के तहत बीमारी के केंद्र से 25 किलोमीटर दायरे में सभी घोड़ों की स्क्रीनिंग होती है लेकिन घोड़ा पालकों द्वारा पशुओं को राज्य में इधर-उधर प्रदर्शित करने के कारण संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसीलिए अब विचार किया जा रहा है कि कुछ समय के लिए घोड़ों की मूवमैंट पर पूरी तरह अंकुश लगाया जाए ताकि इस बीमारी के विकराल होने की संभावनाओं पर अंकुश लग सके।

राज्य की हदों पर चैकपोस्ट व क्वारंटीन कैम्प पर विचार

ग्लैंडर्स के बढ़ते दायरे को देखते हुए पंजाब पशुपालन विभाग पड़ोसी राज्यों के साथ लगती सीमाओं पर चैकपोस्ट व  क्वारंटीन कैम्प पर भी विचार कर रही है। अधिकारियों की मानें तो अगर स्थितियां गंभीर होती हैं तो राज्य में आने-जाने वाले पशुओं की मॉनीटरिंग को अनिवार्य करना होगा ताकि इस बीमारी के विस्तार पर अंकुश लगाया जा सके। पंजाब में सभी स्तरों पर जांच-पड़ताल की जा रही है। हालात को भांपते हुए वेटरिनरी ऑफिसर्स को स्टेट बॉर्डर पर तैनात किया जा सकता है।

ज्यादा से ज्यादा सैम्पल की करवाई जाएगी जांच

अधिकारियों की मानें तो बीमारी के बढ़ते दायरे को देखते हुए प्रदेशभर में घोड़ों के सैंपल की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। वैसे तो ग्लैंडर्स के लिए कम्पलीमैंट फिक्सैशन टैस्ट प्रभावी है, जिसका जालंधर की रीजनल लैब में परीक्षण हो जाता है लेकिन अगर स्थितियां विकट हुई तो राष्ट्रीय स्तर पर सैंट्रल वेटरिनरी लैबोरेटरी से भी संपर्क किया जा सकता है। अधिकारियों की मानें तो जिन-जिन इलाकों में ग्लैंडर्स के मामले में सामने आए हैं, उन सभी इलाकों में स्क्रीनिंग की जा रही है। 25 किलोमीटर दायरे के बाहर भी वेटरिनरी ऑफिसर लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं।

डॉ. रामपाल मित्तल, निदेशक, पशुपालन विभाग पंजाब ने बताया कि ग्लैंडर्स का बढ़ता दायरा वाकई चिंता का विषय है। विभाग एंपीसैंटर से लेकर 25 किलोमीटर के संक्रमित क्षेत्र में लगातार मॉनीटरिंग कर रहा है। पशुपालकों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। जिस तरह से बीमारी फैल रही है, विभाग पशुओं की आवाजाही पर अंकुश लगाने जैसे कठोर कदम उठाने पर भी विचार कर रहा है। बीमारी की रोकथाम जनभागेदारी से ही संभव है, इसलिए लोगों को भी विभाग के निर्देशों का पालन करना चाहिए व अपने घोड़ों को दूसरे पशुओं के संपर्क से दूर रखने की पहल करनी चाहिए।

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स्रोत: punjabkesari