कैसे बनायें पोषणयुक्त-प्रदूषणमुक्त कंपोस्ट...

November 13 2017

ग्रेटर नोएडा : पराली सहित अन्य फसल अवशेषों का बेहतर और प्रदूषण मुक्त प्रबंधन करना अब किसानों के लिए आसान होगा। यहां इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित 19वें जैविक कृषि विश्व कुंभ (ऑर्गेनिक वल्र्ड कांग्रेस) में सर्ज विकास समिति ने इस तकनीक का प्रदर्शन किया। इस तकनीक के जरिये पराली और अन्य फसलों के अवशेष से खेत में ही खाद (कंपोस्ट) तैयार की जा सकती है। इसके लिए न तो गड्ढे खोदने की आवश्यक्ता होगी और न ही केंचुओं की जरूरत पड़ेगी।

क्या है बायोडायनमिक कंपोस्टिंग: देशभर में जैविक कृषि (ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर) को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही सर्ज विकास समिति ने तकनीक को ‘बायोडायनमिक कंपोस्टिंग’ नाम दिया है। फिलहाल कंपोस्ट तैयार करने के लिए गड्ढे खोदने पड़ते हैं और केंचुओं की जरूरत भी पड़ती है। जो काफी खर्चीला है। नई तकनीक में न

तो गड्ढा खोदने की जरूरत है और न ही केंचुओं की। तकनीक का प्रदर्शन किए जाने के बाद यहां मौजूद किसानों ने इसे बेहतर और आसान विकल्प बताया।

कैसे करें तैयार: बायोडायनमिक कंपोस्ट तैयार करने के लिए 15 फिट लंबाई और पांच फिट चौड़ाई के एक छोटे भूखंड की जरूरत पड़ती है। इस पर पराली या अन्य फसलों के अवशेष को एक फिट तक बिछा दिया जाता है। फिर उस पर गोबर डाल दिया जाता है। इसके ऊपर हरी पत्तियों या घास-फूस की परत बिछा दी जाती है। इसी तरह पराली, गोबर और हरी घास की एक और परत तैयार की जाती है। दोनों परत बिछाने के बाद इसके ऊपर करीब एक किलो कंपोस्ट उत्प्रेरक डालना होगा। फिर पूरी परत की मिट्टी व गोबर से हल्की लिपाई कर दी जाती है। 70-80 दिनों में बायोडायनमिक कंपोस्ट तैयार हो जाती है।

पोषणयुक्त, प्रदूषणमुक्त: सर्ज विकास समिति की संस्थापक बिनीता शाह कहती हैं कि फसलों के अवशेष में कार्बन, जिंक, फास्फोरस जैसे तत्व होते हैं, जो धरा की उर्वरा बढ़ाने में बेहद मददगार हैं। जलाने से ये तत्व नष्ट हो जाते हैं। दो ही तरीके हैं। या तो जुताई कर अवशेष को जमीन में दबा दें या फिर बायोडायनमिक कंपोस्टिंग करें। इससे धरा को पोषण तो मिलेगा ही, रासायनिक उर्वरक पर पैसा भी नहीं खर्च करना होगा।

कृषि विवि ने की सराहना: बायोडायनमिक कंपोस्टिंग की महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ समेत कई विवि और कृषि वैज्ञानिकों ने सराहना की है। बिनीता ने बताया कि किसानों की आत्महत्या से जूझ रहे महाराष्ट्र के कई इलाकों में व अन्य शहरों में किसानों ने इस तकनीक से कंपोस्ट तैयार करना भी शुरू कर दिया है। किसान इसे बहुत पसंद कर रहे हैं।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

Source: Krishi Jagran