मल्चिंग में मिर्च

September 01 2018

उद्यानिकी फसलों के उत्पादक कृषक मेहनती, दूरदृष्टि, सफल व्यवसायी की तरह होते हैं। क्योंकि उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है। तभी लागत का दुगना, कम समय में इन्हीं फसलों से कमाया जा सकता है। वर्तमान में उद्यानिकी फसलों के विस्तार के लिये नई -नई तकनीकों का विकास परिवहन सुविधा का विस्तार हुआ है जिसमें प्रति एकड़ अधिक उत्पादन कर शीघ्र दूरस्थ स्थानों पर भेजा जा सकता है। चर्चा जब बड़वानी जिले की चल रही है तो पानसेमल तहसील का नाम आना जरूरी है क्योंकि इस क्षेत्र में अधिकतर उद्यानिकी फसलों का ही उत्पादन देखा जा सकता है। इसी तहसील के कस्बे खेतिया के कृषक श्री जगदीश चौहान ने इस वर्ष 4 एकड़ में मल्चिंग पद्धति से मिर्च लगाई । 1 जुलाई को 45000 पौधे रोपे गये जो कि अंजड़ की गुरुकृपा नर्सरी (श्री जयदेव पाटीदार की नर्सरी) से 1 रु. 40 पैसे प्रति पौधा क्रय किये थे। मिर्च की राशि सोनम 2 एकड़ एवं यू.एस. 1003 प्रजाति मल्चिंग पद्धति से लगाई, पौधों से पौधों की दूरी 16 इंच व कतार से कतार की दूरी 60 इंच रखी। मल्चिंग पर 31000 रुपए खर्च किये गये। अपने पिता स्व. श्री पितांबर दास चौधरी की प्रेरणा से श्री चौधरी ड्रिप इरिगेशन से भी सिंचाई करते हैं। 25 दिन बाद मिर्च का उत्पादन प्रारंभ होगा। 4 एकड़ में मिर्च उत्पादन का अनुमानित डेढ़ लाख रु. व्यय होगा, जबकि प्रति एकड़ 1 लाख रु. की मिर्च विक्रय की संभावना दिसंबर, जनवरी तक है।

10 एकड़ भूमि के स्वामी श्री जगदीश चौधरी शेष भूमि पर तरबूज का उत्पादन लेंगे। खेती में इनके पुत्र श्री सुमित चौधरी का कदम-दर कदम कंधा से कंधा मिलाकर साथ रहते हैं जो कृषि में सुखद भविष्य के शुभ संकेत हैं। अन्य जानकारी कृषक श्री जगदीश चौधरी के मो. : 9479793939 एवं 7869927499 पर संपर्क कर सकते हैं।

Source: Krishak Jagat