भारत में पिछले तीन वर्षों में मछली उत्पादन में हुई 18.86 प्रतिशत की वृद्धि

November 22 2017

नई दिल्ली। भारत में मत्स्य पालन तेजी से बढ़ रहा है। पिछले तीन वर्षों में मछली उत्पादन में 18.86 प्रतिशत की वृद्वि हुई इसके साथ ही स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देश में चल रही नीली क्रांति योजना के तहत वर्ष 2022 तक 15 मिलियन टन तक पहुंचाना है। ऐसा कहना था केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह का।

नई दिल्ली स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर में विश्व मात्सियकी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के कई राज्यों के मत्स्य पालक, विशेषज्ञ ने भाग लिया। मत्स्य पालकों  ने भाग लिया। कार्यक्रम में केंद्र मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, देश के डेढ़ करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। सभी प्रकार के मछली पालन (कैप्चर एवं कल्चर) के उत्पादन को साथ मिलाकर 2016-17 में देश में कुल मछली उत्पादन 11.41 मिलियन तक पहुंच गया है। भारत सरकार द्वारा तीन हजार करोड़ से पूरे देश में नीली क्रांति योजना की शुरू की गई थी।

हर साल 21 नवंबर को विश्व मात्स्यिकी दिवस मनाया जाता है। भारत में पिछले चार वर्षों से लगातार इसका आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 1997 में 18 देशों के मत्स्य कृषकों और मत्स्य कर्मकारों के विश्व मंच का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यरत मछुआरों और मछुआरिनों की बैठक नई दिल्ली में हुई थी और धारणीय मत्स्य-आखेट के प्रयोगों और नीतियों के एक वैश्विक जनादेश की वकालत करते हुए विश्व मात्स्यिकी मंच (डब्ल्यूएफएफ) की स्थापना की गई थी। जिसके बाद से हर वर्ष 21 नवम्बर को पूरे विश्व में विश्व मात्स्यिकी दिवस के रुप में इसका आयोजन किया जाता है।

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के बोरी गाँव से आए जगेंद्र शाडिल्य बताते हैं, अभी भी मछली पालकों को पूरी तरह से किसान का दर्जा नहीं मिला है। मछली उत्पादन में सबसे ज्यादा खर्चा बिजली और पानी पर आता है, लेकिन इसके लिए कोई भी सुविधा नहीं है जितना बिल आता है उतना देना पड़ता है जबकि फसल बोने पर किसानों को बिजली के बिल में सहायता दी जाती है। किसी भी राज्य में इसकी सुविधा नहीं दी गई है।

पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार मात्सियकी से 14.5 मिलियन व्यक्तियों को आजीविका मिलती है। इसके साथ ही 1.1 मिलियन से अधिक किसान जल कृषि के माध्यम से लाभ उठाते है।

भारत में 2.48 लाख नौकाओं का बेड़ा है। वर्ष 2016-17 के दौरान अब तक 5.78 बिलियन अमरीकी डालर (37, 871 करोड़) के मत्स्य उत्पादों का निर्यात किया गया है, जिसको वर्ष 2022 तक और बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। विश्व स्तर पर सालाना मत्स्य उत्पादों के निर्यात का मूल्य 80 से 90 डालर तक है। कार्यक्रम में मौजूद कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कृष्णाराज ने कहा।

हरियाणा से आए जसंवत सिंह लगभग पांच एकड़ में मछली उत्पादन करते हैं। जसवंत बताते हैं, पिछले साल मछलियों में रोग लगने आधी से ज्यादा मछली मर गई। अगर मछलियों का बीमा होता तो लाभ मिल पाता है। राष्ट्रीय नीति के तहत सरकार को मछलियों का भी बीमा का प्रावधान करना चाहिए। हरियाणा में पानी के संसाधनों की काफी कमी है कई बार किसानों को इससे नुकसान होता है।

दुनिया में मत्स्य उत्पादों की औसत वार्षिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत की गई दर्ज

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक दशक में जहां दुनिया में मछली और मत्स्य उत्पादों की औसत वार्षिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत दर्ज की गई वहीं भारत 14.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर के साथ पहले स्थान पर रहा। विश्व की 25 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन आहार मछली द्वारा किया जाता है और मानव आबादी प्रतिवर्ष 100 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक मछली को खाद्य के रूप में उपभोग करती है।,

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Source: Gaon Connection