Economic Package: क्या इसलिए एग्रीकल्चर सप्लाई चेन में रिफॉर्म करना चाहते हैं पीएम मोदी?

May 14 2020

बीते अप्रैल महीने में कोरोना संकट के दौरान देश के किसानों (Farmers) को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. क्योंकि सब्जियों और फलों का वाजिब दाम नहीं मिल पाया. दूसरी ओर शहरों में उपभोक्ताओं (Consumer) को यही चीजें बहुत अधिक दाम पर मिलीं. एग्रीकल्चर सप्लाई चेन (agriculture supply chain) टूटना इसकी बड़ी वजह थी. कोरोना वायरस के खौफ से मंडियां बंद थीं और पुलिस वाले सब्जियों और फलों की आवाजाही नहीं होने दे रहे थे. कृषि मंत्रालय ने जब तक हालात को समझकर कॉल सेंटर शुरू किया तब तक काफी देर हो चुकी थी.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सप्लाई चेन ठीक न हो तो किसान और उपभोक्ता दोनों को नुकसान होगा और बिचौलिए मुनाफाखोरी पर उतर जाएंगे. इसलिए इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है.

मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में रिफॉर्म करने का एलान किया.  ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो.

उनकी इस घोषणा के साथ ही कोरोना को लेकर घोषित होने वाले 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज (Economic package) से किसान संगठनों में कुछ उम्मीद जगी है. उन्हें उम्मीद है कि देश में कृषि उत्पादों की मांग और आपूर्ति में बाधा दूर होगी. लेकिन क्या वाकई परिवहन, गोदाम और मंडियों की व्यवस्था ठीक होना इतना आसान है? इसे लेकर हमने कृषि मामलों के जानकार और राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद (vinod anand) से बातचीत की. उन्होंने किसानों को लेकर सरकार को कुछ सुझाव दिए.

एपीएमसी एक्ट खत्म हो 

आनंद का कहना है कि सप्लाई चेन ठीक न होने की वजह से बिचौलिए किसानों को बर्बाद कर रहे हैं. सरकार की मंशा यदि वाकई किसानों को लाभ पहुंचाने की है तो उसे कृषि उपज विपणन समिति कानून (APMC Act) को खत्म करना होगा. ताकि जमाखोरों का नेटवर्क ध्वस्त हो. किसान खुले माहौल में अपना माल खुद कहीं भी बेच सके. एपीएमसी एक्ट के प्रावधानों की वजह से किसान नजदीकी मंडी में ही फसल बेच सकता है. इसे खत्म कर किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी दी जाए.

वेयर हाउस, मंडियों का विस्तार

आनंद का कहना है कि अगर सरकार किसान और गांवों को मजबूत करना चाहती है तो उसे सभी 2.5 लाख पंचायतों में वेयरहाउस बनाने होंगे. मंडियों का विस्तार करना होगा. अभी देश में 7000 से कम मंडियां हैं. जबकि देश में कम से कम 42,000 मंडियां होनी चाहिए. तब जाकर किसान को उचित बाजार और उसके उत्पाद का सही दाम मिलेगा.

मांग-आपूर्ति का लाइव डाटा

कृषि क्षेत्र के जानकार आनंद का कहना है कि किसी भी कृषि उत्पाद की कितनी मांग है और किस क्वालिटी का कितना उत्पादन है इसका रीयल टाइम डाटा किसान को मिल जाए तो वो औने-पौने दाम पर अपनी उपज नहीं बेचेगा. कमोडिटी कारोबारियों को इसकी जानकारी होती है इसलिए वे फायदा कमा लेते हैं, जबकि उत्पादन करने वाला किसान देखता रह जाता है. इसलिए किसानों को उत्पादन और मांग का डैसबोर्ड उपलब्ध करवाया जाना चाहिए.


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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी