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पद्म पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही राजस्थान के अन्नदाता किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। राजस्थान के दो प्रगतिशील किसानों को उनकी उल्लेखनीय कृषि सेवाओं के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किए जाने की ख़बर से चारों ओर खेती और किसानों के प्रति एक सकारात्मक माहौल देखने को मिला।
अजीतगढ़, सीकर के जगदीश प्रसाद पारीक और मानपुरा, झालावाड़ के हुकुमचंद पाटीदार को देश का चौथा सबसे बड़े नागरिक सम्मान प्रदान किया जाएगा। दोनों किसानों ने जैविक कृषि में अपना लोहा मनवाया है।
पारीक को गोभी उत्पादक किसान के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 2011 में 25 किलो की फूल गोभी के लिए लिम्का बुक में आपका नाम दर्ज करवाया। इसी वर्ष एनआईएफ ने उनके द्वारा विकसित किस्म अजीतगढ़ सेलक्शन के लिए उन्हें 25 हज़ार का नेशनल अवार्ड प्रदान किया। उन्होंने 18 जनवरी, 2017 को राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीकर में 25 किलो की गोभी (पत्तों सहित) भेंट की। वर्ल्ड रिकॉर्ड 26 किलो की गोभी के नाम है।
पारीक की विशेषता है कि उन्होंने 2005 से लेकर अब तक गेहूं, जौ आदि की फसल नहीं बोई है। वे 1970 से सब्जियों की ही खेती करते आ रहे हैं।
सब्जियों की खेती के नवाचारी किसान के रूप में पहचान कायम कर चुके पारीक ने अब तक 7 फ़ीट लम्बी तुरई, 6 फ़ीट लम्बा घीया, 3 फ़ीट लम्बी गाजर, एक फ़ीट लम्बा और डेढ़ इंच मोटा बैंगन, तीन किलो का गोल बैंगन, 86 किलो का तरबूज, आठ किलो की पत्तागोभी, 400 ग्राम का नींबू, 15 किलो की तुरई और मिर्च के एक पौधे पर 150 मिर्च उगाने में कामयाबी हासिल की है।
खेती घाटे का सौदा नहीं-पारीक
"खेती घाटे का सौदा कतई नहीं है। एक नाई 50 पैसे की ब्लेड के 20 रूपये लेता है, लेकिन हम किसानों को तो 40 पैसे में ही 40 रूपये का लाभ मिलता है। खेती घाटे का सौदा नहीं, समझ की फेर का सौदा है। मुझे खेती में सालभर का खर्च ढाई लाख रूपये आता है और सब्जियों की बिक्री से 15 लाख रूपये की आवक हो जाती है, तो हुआ न मुनाफे का सौदा?
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स्रोत: Gaon Connectiion