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प्रदेश के किसानों को अब फसल की गुणवत्ता की जांच के लिए दूसरे राज्यों की तरफ भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की लैब में फसल की गुणवत्ता संबंधी जांच शुरू होने जा रही है। विभाग इसकी तेजी से तैयारी कर रहा है।विवि के साइंटिस्ट डॉ. सतीश बी वेरूलकर के अनुसार प्रदेश में फसलों की गुणवत्ता की जांच वाली लैब नहीं होने से सही बीज की पैदावार किसान नहीं कर पा रहे थे। इससे एक तरफ किसानों को लागत निकालना भारी हो रहा था, वहीं पारंपरिक फसलों में मुनाफा निकालने में दिक्कत आ रही थी, इसलिए राज्य सरकार के निर्देश पर फसलों की गुणवत्ता बताने वाली लैब का निर्माण किया जा रहा है। इस लैब को यूएसए की मशीनों से लैस किया जाएगा। मशीन में फसल का सैंपल डालने पर उसकी गुणवत्ता की बारीकी जांच हो जाएगी।
दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे सैंपल की जांच का शुल्क अधिक लगता है। कृषि विवि में लैब स्थापित होने शुल्क कम लगेगा। किसानों को इसके बारे में प्रशिक्षित भी किया जाएगा। हालांकि जांच दर तय नहीं है, शसन मुफ्त जांच का निर्णय भी ले सकता है।
कैमिकल के उपयोग पर नकेल
प्रदेश में लैब का निर्माण होने के बाद से फसलों की कैमिकल की मात्रा की पूरी जांच, रिपोर्ट तुरंत मिल जाएगी। इससे संबंधित कंपनियों के बीज पर रोक लगाने के लिए विभाग, किसानों को मार्गदशन किया जाएगा। आधुनिक लैब के अभाव होने से अभी तक सैंपल को इंदौर, मुंबई, हैदराबाद, चेन्न्ई की लैब में भेजा जाता है। वहीं से रिपोर्ट आने में महीनों लग जाता है। ऐसे में किसानों को फसल लेने में भी काफी देरी हो जाती है।
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स्रोत: Nai Dunia