Farmers will not need Adhaar for the first installment

February 05 2019

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प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लाभार्थियों को मुहैया कराई जाने वाली पहली किस्त के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि मार्च में जारी होने वाली पहली किस्त में आधार या उसके पंजीकरण के स्थान पर वोटर आईडी, लाइसेंस और नरेगा जॉब कार्ड के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। 

बजट में घोषित योजना का लाभ किसानों को मुहैया कराने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों से विभिन्न आधारों पर उनका डेटा तैयार करने को कहा है। राज्यों द्वारा जिलावार लाभार्थियों की सूची पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। इसके आधार पर सीधे किसानों के बैंक खातों में पहली किस्त का भुगतान होगा। साथ ही नजर रखने के लिए परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) का गठन भी कर दिया गया है। योजना का वित्त पोषण केंद्र सरकार करेगी और इससे 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवारों को लाभ मिलने की उम्मीद है। पहली किस्त 1 दिसंबर, 2018 से 31 मार्च, 2019 के लिए जारी होगी। 

आगे से अनिवार्य होगा आधार

सरकार ने स्पष्ट किया है कि दिसंबर से मार्च की अवधि के लिए मुहैया कराई जाने वाली पहली किस्त में लाभार्थियों को आधार पंजीकरण से छूट रहेगी लेकिन इसके बाद दोहरेपन को रोकने के लिए आधार अनिवार्य किया गया है। केंद्र ने निर्देश में कहा कि राज्य सरकारें यह शुनिश्चित कराएं कि लाभार्थी परिवारों में कोई दोहरापन न हो और कोई भी सूचना गलत या अधूरी नहीं मुहैया कराई जाएगी।

1 फरवरी तक रिकॉर्ड में दर्ज हैं तो लाभ 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों के मुख्य सचिवों को जारी पत्र में कहा गया है कि मौजूदा भूमि रिकॉर्ड के आधार पर राज्यों द्वारा लाभार्थियों को चिन्हित किया जाए। बजट में घोषणा के दिन तक यानी एक फरवरी तक जिनका नाम रिकॉर्ड में दर्ज है, वह योजना का लाभ पाने के योग्य हैं। हालांकि, उत्तर पूर्व के राज्यों में इस योजना को लागू करने के लिए अलग विकल्प रहेगा, क्योंकि वहां भूमि पर मालिकाना हक सामुदायिक आधार पर है। पत्र के मुताबिक राज्यों को छोटे एवं सीमांत किसानों के भूमि रिकॉर्ड के आधार पर नाम, लिंग, जाति, आधार नंबर (नहीं होने की सूरत में आधार पंजीकरण), बैंक खाता और मोबाइल नंबर का डेटा एकत्र करना है।  

एससी-एसटी वर्ग की पहचान का भी निर्देश

पत्र में कहा गया है कि लाभार्थी के अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग से होने की जानकारी भी राज्यों को मुहैया करानी है। साथ ही जिला स्तर पर निपटारा समिति का गठन करना है, जिससे लाभार्थियों की शिकायतों का निपटारा समय पर किया जा सके। मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर मामले की पड़ताल करेगा और किसानों को योजना के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा। राज्यों को योजना लागू कराने का नोडल विभाग सुनिश्चित करना होगा। लाभार्थी को ग्राम पंचायत द्वारा भी सत्यापित कराया जाएगा। 

 

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स्रोत: Amar Ujala