‘किसानों के लाभ’ के लिए 25 हजार टन प्‍याज खरीदेगा नैफेड!

April 14 2018

जनवरी में आम आदमी को रूलाने वाली प्याज अब किसानों को परेशान करने की तैयारी में है। महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की आवक शुरू हो गई है। थोक बाजार में प्याज के भाव 500 रुपए क्विंटल तक आ गए हैं वहीं खुदरा मार्केट में यह 10 रुपए किलो तक बेची जा रही है।

नैफेड ने दिया सहारा

प्याज की अच्छी पैदावार होने और मंडियों में उसकी ज्यादा आवक होने से प्याज के दाम थोक बाजार में जमीन पर आ गए। जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसकी खरीद का फैसला लिया है। एक आदेश के बाद नैफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल को-आपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया) अगले सप्ताह से 25 हजार टन प्याज की खरीद करेगी। इससे पहले सरकारी एजेंसियां लगभग 6000 टन प्याज खरीदने का आर्डर कर चुकी है।

एशिया की सबसे बड़ी मंडी में होगी खरीद

प्याज की अच्छी पैदावर होने के बाद सरकार ने इसके भंडारण की योजना बनाई है। यह खरीद महाराष्ट्र में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंड़ी लासलगांव और नागपुर की पिंपलगांव मंडी से होगी। इसमें से कुछ टन प्याज का भंडारण सरकारी गोदामों में किया जाएगा। बाकी बची प्याज को किराये के गोदाम में भंडारित किया जाएगा। उसके बाद इस प्याज को 2-3 माह के बाद बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के लिए बेचा जाएगा।

जनवरी में 25 से 30 फीसदी तक बढ़े थे भाव

जनवरी में थोक मार्केट में प्याज का भाव 1800 रुपए क्विंटल तक चल रहा था। उस समय खुदरा मार्केट में देश के 19 बड़े शहरों में प्याज का भाव 50-70 रुपए प्रति किलो पहुंच गया था। फरवरी के बाद से ही मंडियों में प्याज की नई फसल की आवक होने लगती है। जो कि मई-जून तक चलती है। जिससे इन 2-3 माह में प्याज की कीमतें स्थिर हो जाती है।

भंडारण नहीं होने से सस्ता प्याज बेचने को मजबूर किसान

तेजी के दिनों में स्टॉकिये प्याज को बेचकर अच्छा-खासा मुनाफा कमा लेते हैं, जबकि प्याज उत्पादकों के हाथ में उसकी लागत तक ही आती है। ऐसा इसलिए होता है कि किसानों के पास भंडारण जैसी कोई सुविधा नहीं है। अगर वो किराये पर गोदाम लेकर प्याज का भंडार करते हैं तो वो उनको और ज्यादा नुकसान दे सकती है। ऐसे में बिचौलिये की भूमिका निभाने वाला व्यापारी वर्ग इसका स्टॉक करके सारा फायदा उठा ले जाता है।

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Source: Info Patrika