इंदौर। भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा सोयाबीन किसानों को इस सप्ताह की अवधि के लिए सलाह दी है कि जिन किसानों के यहां 15 -20 दिन की फसल हो चुकी है और बारिश नहीं हो रही है, तो नमी बनाये रखने और खरपतवार नियंत्रण के लिए डोरा/ कुल्पा चलाएं। लेकिन यदि फसल 30 दिन की हो गई है तो कुल्पा न चलाएं।
जहां पर सोयाबीन की फसल 15 -20 दिन की हो गई है वहां के किसान खरपतवारनाशक के छिड़काव के समय अनुशंसित कीटनाशक का मिश्रित छिड़काव कर सकते हैं। इससे पत्ती खाने वाले कीटों पर नियंत्रण हो सकेगा। इसके लिए इमाझेथायपर, क्विजालोफाप इथाइल 1 लीटर/हे. + क्लोरेनट्रानिलीप्रोल 100 मिली/हे./इंडोक्साकार्ब 333 मिली/हे. 500 लीटर पानी का उपयोग करें। इसके अलावा जहां सोयाबीन अंकुरित हो चुकी है वहां पर नीला भृंग कीट के प्रकोप की आशंका को देखते हुए क्विनालफॉस 1 .5 लीटर/हे. की दर से छिड़काव कर कीट नियंत्रित करें। वहीं पिछले साल जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब यानी सफेद सुंडी का प्रकोप हुआ था, वहां के किसान विशेष ध्यान दें और सफेद सुंडी को एकत्र कर नष्ट करने के साथ ही फेरोमेन ट्रैप यानी प्रकाश जाल का प्रयोग करें। जहां अधिक वर्षा हो रही है, वहां सोयाबीन के खेत में जलभराव न हो इसका ध्यान रखें।
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Source: Krishak Jagat