वे कृषि यंत्र जो बनें है महिला किसानों के लिए

November 30 2018

भारत उन विकासशील देशों में से एक है. जहां की तक़रीबन 62  फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है. इसी वजह से दुनिया में भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है. इस युग में भी खेती-बाड़ी देश की बड़ी आबादी का मुख्य व्यवसाय है. गौरतलब है कि आज के वक्त में तकनीक में तेजी से परिवर्तन हो रहा है. लोगों को अनेक सुविधाएं ऑनलाइन मिल रही है. अगर हम यह कहें कि आज के समय में टेक्नोलॉजी के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा. आज के समय में हर किसी का भी जीवन तकनीक से अछूता नहीं है और तकनीक की रफ्तार भी बहुत तेज है. लोगों के सामने बदले हुए तकनीक के साथ चलने की चुनौती है. भारत में भी तकनीक का विकास किया जा रहा है, जिसे लोगों के काम को आसान बनाने की ओर बढ़ते हुए कदम की तरह देख सकते हैं.  इसी कड़ी में कृषि के क्षेत्र में हो रहे इनोवेशन में भी क्वॉलिटी पर जोर दिया जा रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक,  भारत के कुल कृषि श्रमिकों की आबादी में करीब 30-35 फ़ीसदी महिलाएं हैं. लेकिन, खेती-बाड़ी में उपयोग होने वाले ज्यादातर औजार, उपकरण और मशीनें पुरुषों को ही ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं. जिनमें अधिकतर उपकरण महिलाओं की कार्य क्षमता के अनुकूल नहीं होते हैं. गौरतलब हैं कि विकास दर और बदलते सामाजिक-आर्थिक परिवेश जैसे कारकों को ध्यान में रखकर शोधकर्ताओं का यह अनुमान है कि वर्ष 2020 तक कृषि में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़कर 45 फ़ीसदी तक पहुंच सकती है, क्योंकि ज्यादातर पुरुष खेती के कामों को छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में महिलाएं ही कृषि के क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाएंगी.

इन्हीं आयामों और महिलाओं की शारीरिक क्षमता के आधार पर पुराने प्रचलित कृषि उपकरणों को संशोधित करके बिभिन्न प्रकार के नये उपकरण बनाए गए हैं. इनमें बीज उपचार ड्रम, हस्त रिजर, उर्वरक ब्राडकास्टर, हस्त चालित बीज ड्रिल, नवीन डिबलर, रोटरी डिबलर, तीन पंक्तियों वाला चावल ट्रांसप्लांटर, चार पंक्तियों वाला धान ड्रम सीडर व्हील, कोनो-वीडर, संशोधित हंसिया, मूंगफली स्ट्रिपर, पैरों द्वारा संचालित धान थ्रैशर, धान विनोवर, ट्यूबलर मक्का शेलर, रोटरी मक्का शेलर, टांगने वाला ग्रेन क्लीनर, बैठकर प्रयोग करने वाला मूंगफली डिकोरटिकेटर, फल हार्वेस्टर, कपास स्टॉक पुलर और नारियल डीहस्कर प्रमुख हैं.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, भारतीय महिला कृषि श्रमिकों की औसत ऊंचाई आमतौर पर 151.5 सेंटीमीटर और औसत वजन 46.3 किलोग्राम होता है. खेती के कामों में भार उठाने संबंधी बहुत से काम होते हैं. वर्ष 2004 में अर्गोनॉमिक्स जर्नल में छपे एक शोध में आईआईटी-मुम्बई के वैज्ञानिकों के एक अनुसंधान के अनुसार, भारतीय वयस्क महिला श्रमिकों को 15 किलोग्राम (अपने भार का लगभग 40 प्रतिशत) से अधिक भार नहीं उठाना चाहिए. इसी शोध के मद्देनज़र पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के अनुकूल औजारों, उपकरणों के साथ-साथ कार्यस्थलों के विकास पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है. अब ऐसे उपकरण तैयार किए जाने लगे हैं, जिन्हें महिलाएं भी खेती-बाड़ी में इस्तेमाल कर सके और आधुनिक कृषि तकनीक का लाभ उठा सकें.

 

Source: Krishi Jagran