लघु एवं सीमांत किसानों को अब शत-प्रतिशत अनुदान पर मिलेगा बोरवेल

December 01 2018

 बिहार के पटना जिला में शुक्रवार को सभागार में आयोजित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) के अंतर्गत सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण-सह-सेमिनार का उद्घाटन बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार द्वारा किया गया. उन्होंने इस दौरान बताया कि राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) के ऑनलाईन कार्यान्वयन करने एवं किसानों को अनुदान भुगतान करने के लिए कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय द्वारा एक्सिस बैंक के सहयोग से एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से किसान अपना आवेदन ऑनलाईन करेंगे तथा उनके खेत में लगाये गये यंत्र का सत्यापन भी ऑनलाईन किया जायेगा.

कृषि मंत्री ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की विशेषता है कि विभाग द्वारा तय सीमा के अन्दर ही अनुदान की राशि किसान व कंपनी को पीएफएमएस के माध्यम से उनके बैंक खाता में अंतरित किया जायेगा. सूक्ष्म सिंचाई यंत्र अधिष्ठापित खेत का प्री एवं पोस्ट जियो फेंसिंग एवं जियो फोटोग्राफी की जायेगी, ताकि कोई भी व्यक्ति इससे गूगल अर्थ पर जाकर देख सके. सॉफ्टवेयर के माध्यम से इस योजना के कार्यान्वयन के फलस्वरूप किसान को कार्यालय अथवा कम्पनी के यहां दौड़ने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके लिए किसानों को ऑनलाईन आवेदन करने की तिथि से 45 दिनों के अन्दर उनके खेत में यंत्र अधिष्ठापन निश्चित रूप से कर दिया जायेगा.

उन्होने आगे कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह योजना राज्य में 142.56 करोड़ रूपये की लागत से कार्यान्वित की जायेगी. सरकार की यह मंशा है कि बिहार में ड्रीप सिंचाई पद्धति को किसानों के बीच अधिक-से-अधिक बढावा दिया जाये, ताकि किसानों के उत्पादन लागत में कमी हो तथा उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि हो. भारत सरकार के द्वारा इस योजना के अन्तर्गत लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए 55 प्रतिशत अनुदान तथा सामान्य किसानों के लिए 45 प्रतिशत अनुदान की सीमा निर्धारित की गयी है, हालांकि  राज्य सरकार अतिरिक्त राज्यांश उपलब्ध करवाकर ड्रीप सिंचाई पद्धति हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष में 90 प्रतिशत अनुदान सभी श्रेणी के किसानों को उपलब्ध करायेगी तथा स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति के लिए पूर्व की भाँति इस बार भी 75 प्रतिशत अनुदान राज्य सरकार देगी.

ड्रीप सिंचाई पद्धति को अपनाने पर 60 प्रतिशत सिंचाई जल, 25 से 30 प्रतिशत उर्वरक की बचत एवं 25 से 35 प्रतिशत उत्पादन लागत में कमी होती है. इस पद्धति को अपनाने से उत्पादकता में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि होती है तथा उत्पाद के गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है, जिसके कारण किसानों को अधिक मूल्य प्राप्त होता है.

मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने आगे कहा कि राज्य में इस योजना का कार्यान्वयन सॉफ्टवेयर के माध्यम से पूर्ण पारदर्शिता के साथ किया जायेगा, ताकि राज्य के किसान इसका अधिक-से-अधिक फायदा उठा सके. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अपने क्षेत्र के सहायक निदेशक, उद्यान/प्रखण्ड उद्यान पदाधिकारी व निबंधित कंपनी से सम्पर्क कर केवल ऑनलाईन आवेदन करना होगा. सभी पदाधिकारियों एवं कम्पनियों का सम्पर्क नम्बर विभागीय बेवसाईट पर उपलब्ध है. वर्तमान वर्ष में इस योजना के कार्यान्वयन के लिए यह निर्णय लिया गया है कि अगर किसान चाहें तो कम्पनी को पूर्ण मूल्य भुगतान कर अनुदान की राशि स्वयं के बैंक खाता में प्राप्त कर सकते हैं. अगर किसान पूर्ण मूल्य भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं तो किसान अनुदान की राशि काटकर शेष मूल्य कंपनी को भुगतान करेंगे तथा सरकार द्वारा अनुदान की राशि कंपनी को भुगतान की जायेगी. यंत्र का मूल्य भारत सरकार की ओर से निर्धारित मूल्य के अनुरूप कंपनी द्वारा लिया जाना है. जीएसटी पर अनुदान देय नहीं होगा.

राज्य सरकार के द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि जो लघु एवं सीमांत कृषक, किसी कारणवश इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं उनको 5 हेक्टेयर के पैच में शामिल कर ड्रीप सिंचाई पद्धति का अधिष्ठापन करने हेतु जल शत-प्रतिशत अनुदान पर बोरवेल उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि वे भी इस योजना का लाभ लेकर अपने उत्पादन लागत में कमी करते हुए अधिक-से-अधिक उत्पादन प्राप्त कर सके और अपनी आय को दोगुनी कर सके. बता दे, कि इस मौके पर निदेशक, उद्यान नन्द किशोर, संयुक्त निदेशक, उद्यान सुनील कुमार पंकज, सभी प्रमण्डलीय संयुक्त निदेशक (शष्य), सभी सहायक निदेशक, उद्यान सहित कृषि विभाग के पदाधिकारी तथा कर्मचारीगण मौजूद थे.

 

Source: Krishi Jagran