रबी फसल की एक लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई के लिए राज्य सरकार पानी छोड़ेगी। रबी फसल के लिए लंबे समय से पानी की मांग हो रही थी। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक धनेंद्र साहू ने भी कृषि व जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे को पानी छोड़ने के लिए पत्र सौंपा था। जनप्रतिनिधियों और किसानों की मांग को ध्यान में रखकर मंगलवार को राज्य जल उपयोगिता समिति ने पानी छोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया।
महानदी भवन (मंत्रालय) में विभागीय मंत्री चौबे की अध्यक्षता में जल उपयोगिता समिति की बैठक हुई, जिसमें नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, विधायक सत्यनारायण शर्मा, अमितेश शुक्ल समेत कुछ और विधायक भी उपस्थित थे। जल की उपलब्धता, जल की उपयोगिता और रबी फसल के संबंध में चर्चा हुई। समिति के सदस्यों ने अपने-अपने क्षत्र में होने वाली रबी की फसल का रकबा, सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता और जल उपलब्धता की जानकारी दी।
इसके बाद मंत्री चौबे ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को प्राथमिकता के साथ पर्याप्त पानी मिले। इसके अलावा विधायकों और समिति के सदस्यों ने जो सुझाव दिए हैं, उस पर दौरा करके आवश्यक कार्रवाई करें। मंत्री डहरिया और विधायक शर्मा ने सुझाव दिया कि आरंग विकासखंड व रायपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के किसानों को नहर से पानी लिफ्ट करके कृषि के लिए उपलब्ध कराया जाए।
विभागीय अधिकारियों ने मंत्री चौबे और समिति के सदस्यों को बताया कि रबी फसल 2018-19 के लिए वृहत परियोजना से 61 हजार 171 हेक्टेयर, मध्यम परियोजना से 15 हजार 541 हेक्टेयर और लघु परियोजना से 19 हजार 407 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में विधायक दलेश्वर साहू, भुवनेश्वर बघेल, बृहस्पति सिंह, डॉ. विनय कुमार भगत, मोहित राम, रंजना साहू, डॉ. लक्ष्मी धु्रव, उत्तरी जांगड़े, छन्नी साहू और विभाग के सचिव अविनाश चंपावत भी उपस्थित थे।
ग्रीष्मकालीन धान को भी मिलेगा पानी
ज्ञात हो कि सोमवार को कैबिनेट की बैठक में रबी के सीजन में ग्रीष्मकालीन धान को भी पानी देने पर चर्चा की गई थी। मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इस बार ग्रीष्मकालीन धान को भी पानी दिया जाएगा। इससे पहले भाजपा सरकार ने ग्रीष्मकालीन धान को पानी देने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था।
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स्रोत: Nai Dunia