बचपन से माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर डॉक्टर, इंजीनियर बनें और देश के हर युवा वर्ग का भी सपना है कि वह एक बड़ी-सी कार्पोरेट कंपनी में मोटी सैलेरी पर काम करें। लेकिन आज हम एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने सीए की पढ़ाई अधूरी छोड़ जैविक खाद बनाने का रास्ता चुना और आज यह इससे लाखों रुपये कामा रहा है। आइए जानते हैं आखिर कौन है ये युवा
क्या किया है इस युवा ने
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी 23 वर्षीय युवा कि जिसने सीए की पढ़ाई अधूरी छोड़ जैविक ढंग से खाद बनाने और बेचने का कार्य शुरू किया। प्रतीक बजाज आज के युवा वर्ग के लिए एक मिसाल है। प्रतीक ने 12वीं करने के बाद सीए बनने का फैसला किया था। इसलिए उन्होंने B.com में प्रवेश लेकर सीए के लिए CPT की परीक्षा भी क्वालीफाई की।
इसी दौरान प्रतीक एक बार अपने बड़े भाई मोहित बजाज के साथ आईवीआरआई में कामधेनु योजना के एक कार्यक्रम में गए थे, जहा उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने को लेकर एक लेक्चर सुना। तभी से प्रतीक का रुचि जैविक खाद बनाने को लेकर हुई । इसके बाद प्रतीक ने कृषि विज्ञान केंद्र से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया।
प्रशिक्षण लेने के बाद
कृषि विज्ञान केन्द्र से प्रशिक्षण लेने के बाद प्रतीक ने सात बीघा जमीन पर वर्मी खाद बनाने का प्लांट तैयार किया और खाद बनाने का काम शुरू किया। प्रतीक अपने यहां खाद बना कर किसानों को कम दाम में खाद बेचते हैं, जिससे किसानों को सही दाम में खाद उपलब्ध हो रहा है। प्रतीक के बनने खाद का इस्तेमाल करने से किसानों को फसल का बहुत मुनाफा हो रहा है।
‘ये लो खाद’ नाम के ब्रांड से कमाते हैं सालाना 12 लाख
प्रतीक ‘ये लो खाद’ नाम से अपना जैविक खाद बेचने का ब्रांड बनाए हुए हैं। इससे वह सालाना 12 लाख यानि महीने की 1 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं
जैविक खाद का यूनिट डालने में लागत और मुनाफा
प्रतीक ने बताया कि एक एकड़ में जैविक खाद बनाने का यूनिट डालने पर 1000 रुपये का खर्चा आता है। इस युनिट से लगभग 72 हजार की कमाई आसानी से हो सकती है।
नोएडा, गाजियाबाद जैसे कई शहरों में जाते हैं खाद
प्रतीक अपने खाद को अब नोएडा, गाजियाबाद, बरेली, शाहजहांपुर और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई शहरों में बेचते हैं। यही नहीं प्रतीक अपने आस पास के गांव और शहरों में घर-घर जाकर किसानों कंपोस्ट तैयार करने की विधि बताते हैं। साथ ही इसी करने भी किसानों के घर-घर जाते हैं। ताकि युवा किसानों को अपशिष्ट प्रबंधन और खेती को अपनाने के लिए प्रेरित कर सके।
रिसर्च करके बनाई थी नीम जैविक खाद
प्रतीक ने बताया कि नीम की पत्तियों पर मैने रिसर्च की, जिसके बाद मैने नीम जैविक खाद तैयार किया था। केचुए वाली जैविक खाद में नीम की पत्तियों को सड़ाकर उसमें मिलाया जिसके बाद नीम वर्मी जैविक खाद तैयार होता है.
कचरे से भी बनाया था खाद
आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रतीक ने शुरुआती दौर में कचरे से खाद बनाना शुरू किया था, जिसमें उन्होंने सड़े केले के पत्तों, खराब सब्जियों और उनके पत्तों पर पड़ी से खाद बनाया था।।
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Source: Kisan Khabar