युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए (TAAS) टास ने की पहल

August 31 2018

कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें बहुत सारी संभावनाए और अवसर खोजे जा सकते हैं. कहते है कि किसी भी देश की तरक्की में युवाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है. इसलिए हर एक काम में युवाओं को आगे आने की जरुरत है. युवा जब किसी काम को करता है तो वो बहुत जल्दी सफल होता है. लेकिन हमारे देश के युवा कृषि के क्षेत्र से दूर भाग रहे हैं. यदि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की हम बात करें तो ग्रामीण युवा नौकरी की तलाश में गाँव से शहरों की और पलायन कर रहे हैं कोई भी खेती नहीं करना चाहता है. एक किसान का बेटा भी खेती नहीं करना चाहता है. इसका कारण यही है कि कही न कही कोई तो कमी है जिसके कारण युवा खेती से भाग रहे हैं.

युवा कृषि से मुंह मोड़ रहे हैं तो यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चिंता का विषय बन चुका है. यदि कोई खेती नहीं करेगा तो इस बढती हुई आबादी का पेट कौन भरेगा. यह एक बड़ा सवाल उभरकर सामने आ रहा है. इसलिए युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए देश ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टास) ने एक पहल की है. आर्गेनाइजेशन के चेयरमैन और देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. परोदा के मार्गदर्शन में इसकी शुरुआत की गयी. पूसा स्थित नास्क (NASC) परिसर के ए.पी. शिंदे सभागार में दो दिवसीय कार्यक्रम के आयोजन किया गया. युवाओं के प्रेरित करने के लिए ‘रीजनल कांफ्रेंस ओन मोटीवेटिंग एंड अट्रेक्टिंग यूथ इन एग्रीकल्चर’ (माया) का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित कैसे किया जाए यही मुख्य विषय रहा. कार्यक्रम की शुरुआत टास के चेयरमैन डॉ. आर.एस., डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, डॉ. रवि खेत्रपाल, डॉ. ए.के सिंह और कृषि मंत्री जी.एस. सखावत ने दीप प्रवज्जलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. इसी मौके पर पदमश्री एवं पदम विभूषण डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने विडियो मैसेज दिया इस दौरान उन्होंने कहा कि युवा कृषि क्षेत्र में एक और क्रांति का जरिया बन सकते हैं. इसके बाद टेक्निकल सेशन की शुरुआत की इस दौरान डॉ.ए. सिंह ने आये हुए सभी डेलिगेटस का स्वागत किया. इसी के साथ उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के युवा शहरों की ओर जा रहे हैं, इसलिए हमें ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार स्थापित करने की सख्त आवश्यकता है. इसी मौके आईसीएआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि इसको रोकने के लिए एक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है. इसके लिए युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि ‘मिशन फॉर यूथ इन एग्रीकल्चर’ और ‘ रीजिनल प्लेटफार्म फॉर यूथ इन एग्रीकल्चर’ को शुरू करने की आवश्यकता है.

एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के सीईओ सत्येन्द्र आर्य ने कहा कि युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने  के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि युवाओं को कृषि में पेशेवर बनाने की आवश्यकता है. इसी के साथ उन्होंने एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा ग्रामीण युवाओं को पेशेवर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला.

अन्तर्राष्ट्रीय संस्था एशिया पेसिफिक एसोसिएशन ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूशन (आपारी)  के   एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी डॉ. रवि खेत्रपाल ने कहा कि युवाओं में कृषि क्षेत्र में काम करने की एक अभिलाषा है परन्तु उनका मन ग्लेमरस नौकरियों का है. यदि कृषि क्षेत्र में ऐसी जॉब की शुरुआत की आए तो युवा कृषि क्षेत्र से नहीं भागेंगे.

डॉ. आर.एस. परोदा ने कहा कि युवा देश को टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर और मेक इन इंडिया में सक्षम बनाने के लिए मुख्य भूमिका निभाना चाहता है. युवाओं को एक कर्मचारी अन्वेषक की तरह नहीं बल्कि एक नियोक्ता की तरह प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है. किसान देश में उनकी समस्याओं के लिए वन स्टॉप सोल्यूशन चाहता है. एक मल्टीहॉस्पिटल की तरह से. इसलिए इस तरह के कार्यक्रम किसानों और युवाओं को कृषि से पलायन करने की बजाए उनको कृषि की ओर आकर्षित करने में मदद करेंगे. इस कार्यक्रम में पांच टेक्नीकल सेशन किए गए जिनमें कई विषयों पर चर्चा की गई. इस तरह के कार्यक्रमों में कुछ अन्य प्रयास करने की आवश्यकता है. जिसके जरिए युवाओं को कृषि से जोड़ा जा सके और उनके लिए ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार उपलब्ध कराए जा सके|

Source: Krishi Jagran