मानसून का असर : सात लाख हेक्टेयर तक घट सकता है गेहूं का रकबा

October 17 2017

Date 17 October 2017

भोपाल। प्रदेश में मानसून का असर खरीफ फसलों के साथ-साथ अब रबी फसलों की बोवनी पर भी नजर आने लगा है। गेहूं की बोवनी लगभग सात लाख हेक्टेयर में कम होने की संभावना जताई जा रही है। कृषि विभाग का अनुमान है कि इस बार गेहूं का रकबा 56 लाख हेक्टेयर रह सकता है, जो पिछले साल 63 लाख हेक्टेयर था। वहीं दूसरी ओर कम सिंचाई वाली चने की फसल का रकबा बढ़ सकता है।

प्रदेश में इस बार 118 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। इसको लेकर प्रदेशभर में तैयारियां चल रही हैं, लेकिन अल्पवर्षा की वजह से गेहूं का रकबा घटने के आसार हैं। दरअसल, कम बारिश की वजह से बांध भी पूरी तरह नहीं भरे हैं।

ऐसे में तीन से पांच बार सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराना संभव है। कई क्षेत्र ऐसे हैं जो सिंचाई के लिए सिर्फ बांध के पानी के भरोसे हैं। ऐसे स्थानों पर गेहूं की बोवनी संभव नहीं है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गेहूं के लिए सबसे बड़ी जरूरत बोवनी के वक्त मौसम में नमी होनी चाहिए, जो अभी बिल्कुल भी नहीं है।

इसके अलावा सिंचाई का इंतजाम होना चाहिए। कम सिंचाई वाली किस्में प्रदेश में कम ही बोई जाती है। संचालक कृषि एमएल मीणा ने बताया कि इस बार पांच से सात लाख हेक्टेयर गेहूं का रकबा कम हो सकता है। इसकी भरपाई चना सहित अन्य दलहन फसलों से पूरी हो जाएगी, क्योंकि इन फसलों को कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है।

उत्पादन होगा प्रभावित

कृषि विशेषज्ञ डॉ. जीएस कौशल का कहना है कि रबी की फसलों को पानी की दरकार होती है। इसके बिना फसलें तो जैसे-तैसे जिंदा रह जाएंगी पर उत्पादन प्रभावित होगा। इस बार रबी फसलें किसानों के लिए बड़ी चुनौती होंगी। बूंद-बूंद पानी का इस्तेमाल बेहद सतर्कता और जरूरत के समय पर करना होगा।

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Source: Krishak Jagat