By: Naiduniya, 4 September 2017
भोपाल। प्रदेश में कमजोर मानसून ने किसानों की उम्मीदों पर लगभग पानी फेर दिया है। सोयाबीन, मूंग, उड़द और धान की फसलें इससे प्रभावित हुई हैं। ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग में हालात सबसे बुरे हैं। सामान्य से कम बारिश और मौसम में नमी नहीं होने से फसलें जिस तरह प्रभावित हो रही हैं, उससे उत्पादन 20 से 25 प्रतिशत तक गिरने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि खरीफ की फसल तो जैसे-तैसे निकल जाएगी पर रबी सीजन में मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि न तो नदियों में पानी है और न ही जलाशयों में।
कमजोर मानसून की वजह से सोयाबीन का क्षेत्र 5 लाख हेक्टेयर, मूंगफली का 50 हजार और धान का रकबा ढाई लाख हेक्टेयर घट गया है। उड़द ही एक मात्र ऐसी फसल है, जिसका रकबा सवा छह लाख हेक्टेयर बढ़ा है। पूर्व कृषि संचालक और विशेषज्ञ डॉ. जीएस कौशल की मानें तो बुंंदेलखंड में जो मूंग और उड़द बोई गई थी, उसमें बड़ा नुकसान हुआ है। सोयाबीन सहित अन्य फसलों में येलो मोजेक, इल्ली और माहू जैसी बीमारी लग गई है।
निमाड़ क्षेत्र में अफलन (पौधे में फली न लगना) की शिकायत है। इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। कुल उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। डॉ.कौशल की बातों का समर्थन भारतीय किसान संघ के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री शिवकांत दीक्षित ने भी किया।
उन्होंने बताया कि कम बारिश का असर किसान, बाजार और आम आदमी पर पड़ेगा। जब मांग की पूर्ति नहीं होगी तो तेल और दालें महंगी हो जाएंगी। सबसे बड़ी चुनौती रबी सीजन में होगी, क्योंकि बोवनी के लिए पानी का संकट खड़ा हो जाएगा। कमजोर मानसून के कारण भू-जल स्तर भी घटता जा रहा है।
खेत भरना तो दूर फसल को जिंदा रखने की जद्दोजहद
साईंखेड़ा के गांव तूमड़ा में सौरभ दीक्षित ने अच्छे मानसून की संभावना को देखते हुए आठ एकड़ में धान लगाई। मानूसन ने धोखा दिया तो खेत भरना तो दूर जैसे-तैसे फसल को जिंदा रखने की जद्दोजहद में जुट गए। आठ एकड़ की फसल पांच एकड़ में सिमट गई, क्योंकि दो ट्यूबवेल से इतनी फसल की सिंचाई ही हो पा रही है।
बढ़ गई एक हजार मेगावॉट खपत
बारिश कम होने और मौसम में ठंड न आने की वजह से बिजली की खपत बढ़ गई है। सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और मोटर चल रही हैं। सूत्रों का कहना है कि इस सीजन में लगभग छह-साढ़े हजार मेगावॉट की मांग रहती है, लेकिन अभी साढ़े सात हजार मेगावॉट की मांग बनी हुई है।
प्रदेश में 20 फीसदी कम बारिश
प्रदेश में 31 अगस्त तक बारिश सामान्य से 20 प्रतिशत कम रही है। 27 जिलों (जबलपुर, बालाघाट, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, देवास, शाजापुर, मुरैना, श्योपुर, भिंड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, दतिया, भोपाल, रायसेन, विदिशा, हरदा और बैतूल) में 20 से 59 प्रतिशत तक कम वर्षा अभी तक दर्ज हुई है।
नुकसान तो हुआ है, 25 के बाद करेंगे समीक्षा
कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि पानी कम गिरने से नुकसान हुआ है। जिन फसलों को ज्यादा पानी लगता है, उन्हें नुकसान ज्यादा है। हमारे क्षेत्र में ही धान की बोवनी 15 हजार हेक्टेयर में कम हुई है। कोई भी बांध 40 प्रतिशत से ज्यादा नहीं भरा है। 25 सितंबर के बाद पूरी स्थिति की समीक्षा करेंगे।
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