फिर से लुट रहा किसान, नहीं मिल रहा गेहूं का दाम...

May 07 2018

सरकार भले ही किसानों के हमदर्द होने की बात कहती हो लेकिन क्या ये सच है..? जी नहीं सच ये है कि आज भी किसान बस प्रक्रति और भगवान् के भरोसे ही जीवित है. वर्तमान समय में किसान एक नहीं बल्कि 2 समस्याओं से जूझ रहे हैं.

गेंहू की फसल घर में आ गई है तो धान लगाने की तैयारी है, परंतु हाथ खाली है। वहीं शादी ब्याह का मौसम होने से आर्थिक संकट से गुजर रहे किसान औने पौने भाव में अपना गेहूं बेचने को मजबूर है। सरकार ने गेहूँ का समर्थन मूल्य 1735 निर्धारित कर रखा है लेकिन जिले में एक छटांक गेहूँ की अधिप्राप्ति नहीं हुई है। नतीजतन किसान बिचौलियों के हाथ महज सस्ता गेहूं बेच रहे हैं।

मौसम की मार ने वैसे भी किसान को बर्बाद कर रखा है लेकिन अब प्रशाशन भी उनकी बात नही सुन रहा है. ऐसे में किसान भगवान् भरोसे ही तो है.

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

Source: Krishi Jagran