फसल अवशेष को खेत में काटकर मिलाने के लिए कृषि यंत्र मुफ्त में दिए जाएंगे

August 30 2018

फसल अवशेष को जलाने से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए शुरू की गई योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र ने विकास खंड नकुड के गांव काजीबांस को चुना किया है। इसमें करीब सौ प्रदर्शन के माध्यम से योजना को मूर्तरूप दिया जाएगा। योजना को शुरू करने से पहले और बाद में जीवांश कार्बन की मात्रा का पता लगाया जाएगा।

फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय क़ृषि अनुसंधान परिषद ने एक योजना तैयार की है। इसके तहत कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष को खेत में काटकर मिलाने के लिए कृषि यंत्र मुफ्त में दिए जाएंगे। जिससे न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगेगी, वहीं खेत में जीवांश कार्बन की मात्रा में भी इजाफा होगा। इस योजना के तहत केवीके ने नकुड़ ब्लाक के गांव काजीबांस का चुनाव किया है। इसमें किसानों के यहां सौ प्रदर्शन लगाए जाएंगे और किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की गोष्ठियों का आयोजन भी कराया जाएगा। 

क्या है फसल अवशेष प्रबंधन आमतौर पर किसान खेत से कंबाइन से कटाई के बाद धान एवं गेहूं और गन्ना कटाई के बाद उसकी सूखी पत्तियों को जलाकर अगली फसल की बुआई करते हैं। इन फसल अवशेषों को जलाने न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं। जिससे मृदा और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पडता है। इस योजना के तहत धान, गेहूं और गन्ने के फसल अवशेषों को कृषि यंत्रों के माध्यम से खेत में ही काटकर मिलाया जाएगा। जिससे मृदा में जीवांश कार्बन की मात्रा में भी इजाफा होगा।

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने नकुड ब्लाक के गांव काजीबांस का चुनाव किया है। इस गांव में करीब 75 प्रतिशत धान की कटाई कंबाइन से होती है। इसके बाद फसल अवशेषों को जला दिया जाता है। जो पर्यावरण के साथ ही जमीन के लिए भी नुकसानदेह है। इस गांव में योजना लागू करने से पहले और फिर बाद में मृदा परीक्षण कराया जाएगा। जिससे यह पता चल सकेगा कि फसल अवशेषों को खेत में मिलाने के बाद जीवांश कार्बन की कितनी मात्रा बढ़ी है।

Source: Krishi Jagran