पाकिस्तान में अब गाय के गोबर से चलेंगी बसें, वजह है बेहद दिलचस्प

January 29 2019

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प्रदुषण का स्तर इतना बढ़ चुका है की साफ हवा में सांस लेना एक सपने जैसा लगता है। वैसे दुनिया का हर देश इससे निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। वहीं पाकिस्तान ने ऐसा नायाब तरीका ढूंढ निकाला है, जिसे सुनकर बेशक आपको हंसी आएगी लेकिन पाकिस्तान वाकई इस ओर अग्रसर है और गोबर से गाड़ियां चलाने की पूरी तैयारी में हैं।

पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल करने की योजाना है।इससे समुद्र में गोबर और गाय का मूत्र बहाकर उसके गंदा करने से भी बचाया जा सकेगा। इसके लिए सरकार ने जीरो कार्बन उत्सर्जन वाली 200 ग्रीन बसें चलाने की योजना बनाई है। इन बसों के ईंधन के लिए गाय के गोबर से बनी बायो मीथेन गैस का इस्तेमाल होगा। इसके लिए इंटरनेशनल ग्रीन क्लाइमेट फंड की मदद ली जाएगी। यह परियोजना चार साल में पूरी होगी।

कराची में चार लाख गाय और भैंस जैसे दुधारु पशु हैं। वहां के प्रशासन ने अब इनके गोबर से गैस बनाकर उसका ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला किया है। स्थानीय प्रशासन दुधारु पशुओं का गोबर जमा करेगा, जिसके बाद इससे बायो मीथेन बनाई जाएगी और बसों को सप्लाई की जाएगी।अधिकारियों के मुताबिक इस योजना से हर दिन 3,200 टन गोबर और पशु मूत्र समुद्र में जाने से बचेगा। जिससे समुद्र की भी सफाई होगी।

कराची शहर में फिलहाल गोबर साफ करने के लिए हर दिन 50 हजार गैलन पानी खर्च होता है।कहा जा रहा है कि, अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इसे लाहौर, मुल्तान, पेशावर और फैसलाबाद जैसे शहरों में लागू किया जा सकता है। पाकिस्तान के ज्यादातर शहरों की हालत प्रदूषण से खराब है। अच्छे सार्वजनिक परिवहन के अभाव में लोग अपने निजी वाहन खूब इस्तेमाल करते हैं। इसकी वजह से कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है और बीमारियां बढ़ती हैं।

इस प्रोजेक्ट की वेबसाइट के अनुसार, इस पूरे प्रोजेक्ट का खर्च 583 मिलियन डॉलर का है। प्रदूषण से निपटने के लिए ‘द ग्रीन क्लाइमेट फंड’ स्थानीय पाकिस्तानी प्रांत और एशियन डेवलपमेंट बैंक प्रोजेक्ट को राशि उपलब्ध करा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि बस कॉरिडोर 30 किमी तक फैला होगा। इससे 15 लाख लोगों को स्वच्छ यातायात के विकल्प का फायदा मिलेगा। बताया जा रहा है कि इस साधन से रोजाना करीब तीन लाख लोग सफर कर सकेंगे।

 

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स्रोत: Amar Ujala