आप चाहें किसान हो या ना हो लेकिन पिछले कुछ सालों में आपने जैविक खेती और जैविक खाद के बारे में जरूर सुना या पढ़ा होगा। लोग जैविक खाद के जरीए जैविक खेती तो करना चाहते हैं लेकिन बात यहां आकर अटक जाती है कि इसे कैसे और कम लागत में घर पर ही कैसे बनाएं।
आज की स्टोरी में आपको हम तमिलनाडु के एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहा है, जिसने सिर्फ 800 रुपये के खर्चे से जैविक खाद बनाने की फैक्ट्री बनाई, जबकि इसकी लागत करीब 40 हजार रूपए आती है।
ज्यादातर किसान फसलों की अच्छी पैदावर के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे रासायनिक खाद खेतों में डालते हैं लेकिन तमिलनाडु के इस किसान के जैविक खाद बनाने के तरीके को आसानी से सीख सकते हैं।
तमिलनाडु के इस किसान ने कृषि विज्ञान केन्द्र से मिली सहायता से गोबर से बने तरल खाद को बनाने की एक सरल विधि की खोज की। इन्हें यह सफलता रातों रात नही मिली बल्कि कई सालों की तक मेहनत करने के बाद मिली।
किसान जी.आर सक्थिवेल (GR Sakthivel) ने गाय के गोबर और यूरिन को रिसाइकिल करने के बाद कैसे कम खर्च में खाद तैयार करें, इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाई। आइए जानते हैं इनकी इस खोज के बारे में-
जी.आर सक्थिवेल की जैविक खाद तैयार करने की विधि जानने से पहले यह जान लें कि मौजूदा दौर में कैसे लोग जैविक खाद महंगी कीमत पर तैयार करते हैं।
मौजूदा विधि
1. मवेशी के रहने वाली जगह के फर्श को ढलवा बनाया जाता है ताकि मवेशी के यूरिन एक नाले में सीधा चला जाए।
2. इस नाले को एक टैंक से जोड़ा जाता है, जिससे यूरिन सीधे टैंक में जाकर गिरे।
3. फिर फर्श पर बचे गोबर को साफ करके हटा दिया जाता।
4. इसके बाद जमा किए गए गोबर और यूरिन को टैंक में जमने के लिए छोड़ दिया जाता है।
5. फिर बाद में इसे छान लिया जाता है।
6. इस प्रक्रिया से पोषक तत्व से भरपूर खाद फिल्ट्रेट होकर तैयार हो जाता है।
7. इससे बाद फिल्ट्रेट को पतला कर ड्रिप लाइन की मदद से खेतों में सीधे सिंचाई की जाती है।
8. इस प्रक्रिया में गोबर भी बर्वाद नही होता और बचे हुए गोबर का प्रयोग हम बायोगैस बनाने में कर सकते हैं।
जी.आर सक्थिवेल का जैविक खाद तैयार करने का तरीका क्या है?
आमतौर पर टैंक बनाने के लिए तकरीबन 40 हजार रुपये का खर्चा आता है, लेकिन जी.आर सक्थिवेन ने गोबर खाद बनाने की ऐसी विधि का इस्तेमाल किया, जिसमें महज 800 से 1000 रुपये खर्च होते हैं और जिसे कोई भी किसान घर पर ही तैयार कर सकते हैं।
साक्थिवेन ने सीमेंट का टैंक बनाने के खर्च से बचने के लिए प्लास्टिक के एक कंटेनर या डिब्बे को खाद बनाने के लिए चुना। इसमें न तो कोई सीमेंट का ढांचा तैयार करना पड़ता है और ना ही कोई मजदूरी का खर्च आता है।
इसके बाद उन्होंने मवेशी के गोबर और यूरिन को इकट्ठा करने के लिए सीमेंट के टैंक की जगह प्लास्टिक के एक ड्रम का इस्तेमाल किया, जिसमें गोबर और यूरिन को एक साथ मिलाकर रख दिया जाता है। फिर इसे 24 घंटे के लिए जमने के लिए छोड़ दिया जाता है। इस खाद में एक किलो मवेशी के गोबर में 5 किलो मवेशी के यूरिन को मिलाया जाता है।
इसके बाद खमीर (Yeast) बनाने के लिए इसके मिश्रण में थोड़ा गुड़ मिला दिया जाता है। इस तरह थोड़े से खर्च में उसी तरह का तरल खाद तैयार हो जाता है, जिस तरह हजारों रुपये खर्च करके जैविक खाद बनाए जाते हैं। इस पूरी विधि पर महज 800 से 1000 रुपये तक का ही खर्च बैठता है।
ड्रम में खाद बनाने के दो फायदे हैं
1. यह आसानी से कम खर्च पर तैयार किया जाता है।
2. खाद बनाने के बाद इसे ट्रैक्टर पर लोड करके आसानी से खेत तक ले जाया जा सकता है। यानी सीमेंट के टैंक से खाद को बाहर निकालने की मेहनत और खर्चा दोनों की बचत होती है।
जैविक खाद फैक्ट्री
पेस्टिसाइट्स से किसान अब छुटकारा पाना चाहते हैं। ऐसे में उनको विकल्प के तौर पर जैविक खाद की जरूरत होती है। आप चाहें तो इतने कम खर्चे में ही खुद ही गांव में घर पर जैविक खाद की ऐसी फैक्ट्री लगाकर बाकी किसानों को आसानी से खाद बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
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Source: Kisan Khabar