जापान पहुंचा मध्यप्रदेश

September 01 2018

भोपाल। देश के सबसे बड़े सोया उत्पादक राज्य म.प्र. के अधिकारियों का 7 सदस्यीय दल कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन के नेतृत्व में विदेशों में सोयाबीन निर्यात की संभावनाएं तलाशने निकल पड़ा है। दल में कृषि मंत्री के साथ कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीना, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसो. ऑफ इंडिया (सोपा) के श्री डेविश जैन एवं 3 अन्य अधिकारी शामिल हैं। यह दल चीन, जापान एवं वियतनाम में अधिकारियों के साथ बैठक कर सोयाबीन निर्यात के लिए बाजार की संभावनाएं देखेगा। यह दल गत 21 अगस्त को रवाना हुआ है तथा 3 सितम्बर को लौटेगा।

विदेश में सोयाबीन निर्यात की संभावनाएं तलाशने निकला दल

जानकारी के मुताबिक सोयाबीन की अधिक मांग वाले देशों में निर्यात की संभावनाएं पहले तलाशी जा रही हैं। इसके लिए दल सबसे पहले जापान पहुंचा, वहां चर्चा के पश्चात् समाचार लिखे जाने तक दल चीन रवाना हो गया है इसके पश्चात दल अंत में बैंकाक होते हुए वियतनाम जाएगा। चीन ने भारत से सोयाबीन आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है इसे हटाने पर विचार किया जाएगा जिससे निर्यात की संभावनाएं बन सकें।

दरअसल चीन के अमेरिका से व्यापारिक सम्बन्ध बिगडऩे के बाद सोयाबीन निर्यात की हलचल प्रारंभ हुई क्योंकि चीन उत्तरी अमेरिका से 950 लाख टन सोयाबीन आयात करता है। चीन की मांग 11.50 करोड़ टन है जबकि वहां पैदावार केवल 1.50 करोड़ टन ही होती है। इस स्थिति को देखते हुए सोया राज्य म.प्र. के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें चीन को सोयाबीन निर्यात करने का सुझाव दिया था, जिसे मानते हुए केन्द्र सरकार ने सोयाबीन निर्यात पर दी जाने वाली 7 फीसदी प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है। अब यदि चीन, भारत से सोयाबीन आयात करता है तो इसका लाभ प्रदेश के किसानों को मिलेगा। उन्हें अच्छी कीमत मिलेगी। नई व्यवस्था के तहत निर्यातक व्यापारियों को जितनी प्रोत्साहन राशि अधिक मिलेगी उतना ही सस्ता सोयाबीन, चीन को बेच सकेंगे। इसका मुनाफा किसानों को कीमत में बढ़ोत्तरी से मिल सकता है। इसी प्रकार यूरोपियन यूनियन लगभग 172 लाख टन और जापान लगभग 60 लाख टन बाहर से सोयाबीन का आयात करता है। इस वर्ष म.प्र. में लगभग 53.18 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोनी हुई है जबकि प्रदेश में सोयाबीन का सामान्य क्षेत्र 58.59 लाख हेक्टेयर है।

इस वर्ष अच्छी कीमत मिलने की आस में किसानों ने सोयाबीन का रकबा 53 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा दिया है, क्योंकि विगत दो-तीन वर्षों से सोयाबीन किसानों को नुकसान हो रहा था जिससे उनका सोयाबीन के प्रति मोह भंग हो रहा था अब स्थिति सम्हल रही है। उत्पादन भी लगभग 70 लाख टन होने का अनुमान है।

Source: Krishakjagat