खेती के ऐसे तरीके अपनाए कि कृषि विभाग ने किसान को बना लिया ब्रांड एम्बेसेडर

May 10 2018

जैविक खेती के माध्यम से 10 एकड़ रकबा की फसल से तीन साल में प्रतिवर्ष डेढ़ के स्थान पर तीन लाख से भी ज्यादा आय प्राप्त करने पर कृषि विभाग ने मालथौन के कोलुवा गांव के किसान रविशंकर पिता रेवाराम पटेल को ब्रांड एम्बेसेडर बनाया है। कृषि विभाग इस किसान द्वारा की जा रही खेती और उसके तरीकों को बताकर जिले के किसानों को जागरूक कर रहा है कि कैसे वे अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं।

 

किसान रविशंकर पटैल ने बताया कि उनके पास साल 2015 में 10 एकड़ खेती योग्य रकबा था। वहीं पशुधन के रूप में 2 भैंसें, 2 बछड़े, सिंचाई स्रोत्र के तौर पर एक कुआं था। खरीफ के दौरान छह एकड़ भूमि पर सोयाबीन का उत्पादन करते थे, जिसमें प्रति एकड़ चार क्विंटल की उपज होती थी। रबी के दौरान चार एकड़ में गेहूं और पांच एकड़ में चना का उत्पादन करते थे, लेकिन लागत के समकक्ष ही पैदावार होती थी। इसके बाद जैविक खेती करने का विचार आया।

 

तकनीक से बढ़ी पैदावार

 

कृषक के अनुसार, जैविक खेती के तहत नाडेप व वर्मी कम्पोस्ट पिट का निर्माण किया। शासन से 11 हजार 500 रुपए का अनुदान लेकर बायोगैस का निर्माण किया। इससे निकलने वाले खाद का उपयोग खेत में किया। इस दौरान गौमूत्र, नीम, मठा का उपयोग कीटनाशक के लिए किया। कृषि विशेषज्ञों से प्राप्त नवीन तकनीक के आधार पर खेती का काम किया। 80 हजार रुपए का अनुदान लेकर खेत में पानी के लिए बलराम तालाब का निर्माण कराया। उद्यानिकी विभाग से ट्रैक्टर व रोटावेटर लिया। फलदार पौधों का रोपण किया। 2 हेक्टेयर में ड्रिप सिस्टम और मिनी स्प्रिंकलर का उपयोग किया। इससे पैदावार बढ़ना शुरू हुई।

 

कम लागत में ज्यादा पैदावार

 

किसान के अनुसार, जैविक खेती से अब खरीफ के दौरान छह एकड़ में सोयाबीन का उत्पादन छह क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से लेते हैं। वहीं रबी फसल के दौरान गेंहू के पांच एकड़ के रकबे में 20 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार होती है। चार एकड़ में आठ क्विंटल प्रति एकड़ चना की पैदावार है। छोटे से बगीचे में लगे फलदार वृक्षों से भी आमदनी प्राप्त हो रही है। रासायनिक उर्वरक का उपयोग कम होने के साथ खेती में कम लागत से ज्यादा पैदावार हो रही है। वहीं वार्षिक आय डेढ़ लाख से बढ़कर तीन लाख हो गई।

 

कृषक बना किसानों का ब्रांड एम्बेसेडर

 

कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर कई बार किसान सवाल उठाते थे। उनका मानना था कि अधिकारी खेती नहीं करते। सर्वे के दौरान किसान रविशंकर ने तीन साल में दोगुनी आय का दावा किया था। विभाग ने इसकी जांच की और कार्यशैली के बारे में पूछा। अब इस किसान को अन्य किसानों के सामने ब्रांड बनाकर खेती को लाभ का धंधा और आय को दोगुना करने की सलाह दी जा रही है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|


Source: Nai Dunia