खेत हुए बंजर तो 50 की जगह 45 किलो के बैग में यूरिया

July 31 2018

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। केंद्रीय कृषि मंत्रालय पहली बार 50 की जगह 45 किलो की बोरी में यूरिया की आपूर्ति कर रहा है। मात्रा घटाने के पीछे किसान खेतों में यूरिया का कम उपयोग करें। इससे तेजी के साथ जमीन की क्षीण होती उर्वरा शक्ति को बनाए रखना माना जा रहा है। बोनी और रोपाई पद्धति से खेती किसानी करने वाले किसान रासायनिक खाद का जमकर उपयोग करते हैं। यही कारण है कि राज्य शासन द्वारा हर साल रासायनिक खाद आपूर्ति लक्ष्य को बढ़ा दिया जाता है। रासायनिक खाद के कम उपयोग की हिदायत के बाद भी किसान उसी रफ्तार से रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं। इसके चलते जमीन की उर्वरा शक्ति में भी तेजी के साथ गिरावट आने लगी है।

केंद्र सरकार ने मिट्टी परीक्षण के बाद कृषि कार्य करने वाले किसानों को स्वाइल कार्ड जारी करने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत प्रदेशभर में किसानों के खेतों की मिट्टी परीक्षण के बाद स्वाइल हेल्थ कार्ड जारी किया गया है। मिट्टी परीक्षण के दौरान चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि यूरिया के अधिक प्रयोग के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति कम होते जा रही है। इससे फसल उत्पादन पर भी असर पड़ने लगा है। कृषि विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन ने इसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय के हवाले कर दिया था। 45 किलो की पैकिंग वाले यूरिया खाद की आपूर्ति मार्कफेड के जरिए प्रदेशभर की सहकारी समितियों व ओपन मार्केट में की गई है।

केंद्र की कोशिशों पर राज्य शासन फेर रहा पानी : किसान यूरिया का उपयोग कम करें इसलिए यूरिया की 50 किलो की पैकिंग को घटाकर 45 किलो किया है। दूसरी तरफ राज्य शासन ने अन्य रासायनिक खाद के साथ ही यूरिया आपूर्ति के लक्ष्य को बीते वर्ष की तुलना में बढ़ा दिया है। कोशिश की जा रही है कि इससे खेत बंजर न हो। साथ ही फसलों का पैदावार अच्छा होने से किसानों की आय भी बढ़ेगी।

बोनी और रोपाई पद्धति से खेती ऐसे करते हैं इस्तेमाल करने वाले किसान प्रति एकड़ एक बोरी यूरिया डालते हैं। यूरिया के भारी उपयोग के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होते जा रही है। विभाग ने रिपोर्ट राज्य शासन को प्रेषित किया था। शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र को रिपोर्ट भेज दी थी। शासन के रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने 50 की बजाय यूरिया 45 किलो की पैकिंग वाले यूरिया की आपूर्ति कर दी है। अनिल कौशिक सहायक संचालक, कृषि विभाग

फैक्ट फाइल

  • बीते वर्ष यूरिया बिक्री का लक्ष्य- 34 हजार 125 मीट्रिक टन
  • लक्ष्य के विरुद्ध बिक्री-31 हजार 300 मीट्रिक टन
  • वर्ष 2018-19 के लिए यूरिया बिक्री का लक्ष्य- 47 हजार 330 मिट्रिक टन

ऐसे करते हैं इस्तेमाल

बोनी पद्धति से खेती करने वाले किसान बोआई से लेकर बियासी तक तीन बार यूरिया डालते हैं। एक बार में प्रति एकड़ एक बोरी यूरिया का छिड़काव करते हैं। रोपाई पद्धति से खेती करने वाले किसान रोपाई के 15 दिनों बाद से यूरिया का छिड़काव करना शुरू कर देते हैं। कमोबेश ऐसे किसान भी प्रति एकड़ एक बोरी के हिसाब से यूरिया डालते हैं।

कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खेती किसानी के दौरान यूरिया का उपयोग मात्र दो बार किया जाना चाहिए। वह भी सीधे छिड़काव के बजाय घोल बनाकर स्पेयर से सिंचाई करने में ज्यादा असरकारी होता है।

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Source: Nai Dunia