खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा :राधा मोहन सिंह

September 29 2018

खाद्यान के उत्पादन बढ़ने के साथ खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में भी कार्य करने की जरुरत है जिससे किसानों की कई समस्या का समाधान हो सकता है केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने एसोचेम द्वारा आयोजित कार्यक्रम "एग्रीकल्चर फ़ूड एंड वैल्यू चेन" समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा की खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में काम करने के लिए उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा| इस कदम से किसानों की आमदनी को बढ़ावा मिलेगा साथ ही रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे|

आम बजट में टमाटर आलू और प्याज जैसी जल्दी ख़राब होने वाली उपजों को संरक्षित करने और प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा |कृषि मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय इस दिशा में कार्य प्रारम्भ कर दिया है इन सब्जियों के मूल्यों के उतार चढाव की समस्या को सुलझाने के लिए "ऑपरेशन ग्रीन " एक योजना शुरू की गई है कृषि मंत्री ने कहा की यह योजना प्रधान मंत्री के विशेष सोच से तैयार की गई है| इस योजना के अंतर्गत कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि लॉजिस्टिक्स, प्रोसेसिंग सुविधाओं तथा प्रोफेशनल प्रबन्धन को बढ़ावा दिया जाना है।

कृषि मंत्री ने बताया कि एग्री फूड वैल्यू चेन से सम्बंधित मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच) के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन आर्गेनिक वैल्यू चेन विकास योजना जनवरी 2016 में 400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित की गई है। इसके अलावा भारत सरकार ने 14वें वित्‍त आयोग चक्र की सह-समाप्ति के साथ वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2020 तक की अवधि के लिए एक नई केंद्रीय क्षेत्र स्‍कीम- प्रधानमंत्री किसान सम्‍पदा योजना (कृषि-समुद्री प्रसंस्‍करण एवं कृषि-प्रसंस्‍करण क्‍लस्‍टर विकास स्कीम) का अनुमोदन दिया है। प्रधानमंत्री किसान सम्‍पदा योजना एक व्‍यापक पैकेज है जिसके तहत खेत से लेकर खुदरा बिक्री केंद्रों तक आपूर्ति श्रृंखला के दक्ष प्रबंधन के साथ आधुनिक अवसंरचना का सृजन होगा| कृषि मंत्री ने कहा की खाद्यान के मामले में भारत को निर्यातक देश बनाने की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा की इसमें किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण है

देश में खरीफ के उत्पादन के बारे में बताते हुए कहा की  खाद्यान की पैदावार 28.5 करोड़ टन हो गई है और दुग्ध का उत्पादन 16.5 करोड़ टन हो गया है इन उत्पादों की घरेलु मांग  मौजूदा आपूर्ति के मुकाबले कम है इनका अंतरष्ट्रीय स्तर पर निर्यात कर विदेशी बाजारों में अपनी पैठ बनाई जा सकती है साथ ही विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकती है|

उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार ने 585 मंडियों को ई-नाम पोर्टल के साथ पहले से ही जोड़ दिया है जिसका लाभ किसानों को प्राप्त होने लगा है इन मंडियों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार की भावी योजना में 415 अतिरिक्त मंडियों को भी ई-नाम से जोड़ा जाएगा |कृषि मंत्री ने ये भी बताया की पूर्वोत्तर के राज्यों में जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए विशेष रियायतें दी जा रही है

अपने सम्बोधन के आखिर में  कृषि मंत्री ने कृषि क्षेत्र एवं किसानों की आय बढ़ाने और उनके कल्याण में योगदान व कृषि उत्पाद को बाजार से जुड़े उत्पाद बनाकर कृषक समुदाय तथा इसी तरह से उपभोक्ताओं को अपेक्षित गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध कराने में एसोचैम के योगदान की सराहना करते हुए सभी उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों से वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किये जा रहे प्रयासों को नई गति प्रदान करने का आह्वान किया।

Source: Krishi Jagran