खेती-किसानी में क्या जरूरी है? सुनने में यह सवाल कुछ अजीब लग सकता है, लेकिन इसका एक कारण है. जमीन, बीज, पानी और बहुत सारी मेहनत. देश में कितने मौसम और कितनी तरह की फसल होती है? जाहिर है की रबी, खरीफ, और जायेद और सर्दी, गर्मी, बरसात एवं बसंत का मौसम. हमारे यहां मौसम के हिसाब से ही फल और सब्जियां उगती हैं और उगाई भी जाती हैं. इसीलिए वह बाजार में बिकती भी है, और अच्छा मुनाफा भी दे जाते हैं. उनका स्वाद भी बना रहता है. तापमान कंट्रोल करके भी बिना मौसम के फल और सब्जियां उगाने के लिए पॉलीहाउस तथा ग्रीन हाउस में उन्हें उगाया जा सकता है.
किसान हमेश से ही परम्परागत खेती-बाड़ी करता आ रहा है. अब योगिक खेती और आर्गेनिक जिसे जैविक खेती भी कहा जाता है की भी शुरुआत हो चुकी है. इसमें गाये का गोबर, गाये का पेशाब आदि से खेती और हवन इत्यादि से भी खेती-बाड़ी की और ध्यान लगाया जाता है. इस तरह की खेती-बाड़ी में सूरज का योगदान बहुत जयादा है. जहां अब आलू को चांद पर उगाने की बात चल रही है और वैज्ञानिक इस पर शोध भी कर रहें हैं.
तो क्या चाँद सितारों की चाल पर भी खेती बाड़ी को करने की भी कोई वजह है? जी हां ! चाँद सितारों की चाल और दशा दिशा के हिसाब से भी खेतीबाड़ी की जाती है जिसे डायनमिक खेती कहते हैं.
क्या चांद, तारे हमारी खेती पर असर डालते हैं? जैविक कृषि विश्व कुंभ में डायनमिक खेती के बारे में भी लोगों को जानकारी दी गई. इस तरह की खेती को बढ़ावा देने का काम कर रही सर्ग संस्था से जुड़े एनसी उपाध्याय हुए थे, जिन्होंने बताया कि चांद, तारे हमारी खेती पर किस तरह से असर डालते हैं. एनसी उपाध्याय ने बताया, चंद्रमा की दिशा और दशा को देखते हुए जो खेती की जाती है, उसे डायनमिक खेती कहते हैं. जिस तारीख को शनि और चंद्र आमने सामने रहते हैं वो तारीख किसी भी कृषि कार्य के लिए बेहतर होती है. पूर्णिमा से दो दिन पहले किसी भी फसल की बुवाई करना सही रहता है. क्योंकि इस समय नमी सबसे अधिक रहती है." वो आगे बताते हैं, चंद्रमा की चाल के अनुसार कैलेंडर का निर्माण किया जाता है, जिसके अनुसार खेती की जाती है. इस कैलेंडर में ये लिखा होता है कि किस फसल में कब क्या करना चाहिए." उपाध्याय किसानों को मुफ्त में किसानों को ये कलेंडर उपलब्ध करवातो हैं और उसके बाद जो नहीं समझ पाते हैं कि कैलेन्डर से कैसे खेती करनी है उनको फोन पर समझाते हैं. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग भी डायनमिक खेती को बढ़ावा दे रहा है.
चंद्र मोहन, कृषि जागरण