कृषि वैज्ञानिक किसानों को अनुसंधानों से जोड़ें - राज्यपाल

January 10 2019

छत्तीसगढ़ राज्य की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने दुर्ग जिला प्रवास के दौरान कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा के विभिन्न इकाईयों का बारिकी से अवलोकन किया। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने यहां बकरी पालन, अस्तबल, कड़कनाथ, गाय पालन इकाईयों का अवलोकन करते हुए पशुपालन एवं पशुधन को बढ़ावा देेने के लिए अपनायी जाने वाली वैज्ञानिक पद्धतियों से रू-ब-रू हुई। उन्होंने इस दौरान इकाई प्रमुखों से चर्चा कर पशु नस्ल के विस्तारीकरण, कृषकों को पशुपालन में भागीदार बनाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों एवं प्रक्रियाओं की जानकारी ली। उन्होंने संस्थाओं में कार्यरत पशु वैज्ञानिकों को उनके इकाईयों में किए जाने वाले वैज्ञानिक अनुसंधानों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने एवं ग्रामीण कृषकों को परम्परागत बनाने के लिए कम से कम 5 गांवों को गोद लेकर यहां के किसानों को इन अनुसंधानों से जोडऩे कहा है। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा है कि भारत कृषि प्रधान देश है। पशुधन को बढ़ावा देकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है। किसानों को आर्थिक आत्मनिर्भरता बनाने के लिए नए और वैज्ञानिक अनुसंधानों के साथ-साथ नए नस्ल के पशुओं को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके लिए विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों एवं वैज्ञानिकों को समय-समय पर कृषकों को प्रशिक्षण देने एवं उत्तम नस्ल के पशुओं के पालन के लिए जागरूक करने कहा है।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने विश्वविद्यालय परिसर स्थित पंचगव्य आयुर्वेदिक औषधालय का भी मुआयना किया। उन्होंने यहां बनाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों के तरीके एवं इन औषधियों से रोगों के निदान एवं उपचार में किए जाने वाली पद्धतियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पंचगव्य औषधियां अनेक व्याधियों के उपचार में सार्थक होती है। साथ ही साथ किसी प्रकार के दुष्परिणाम की संभावना भी कम होती है। पंचगव्य आयुर्वेदिक से उपचार करने पर व्याधियां और रोगों से स्थायी तौर पर निदान संभव होता है। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने यहां स्व-सहायता समूहों, मत्स्य महाविद्यालय कवर्धा और पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा द्वारा लगाए गए प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। स्व-सहायता समूहों के द्वारा निर्मित विभिन्न व्यंजनों से रू-ब-रू हुई। उन्होंने स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाए गए विविध उत्पाद की प्रशंसा की।

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स्रोत - Krishak Jagat