कृषि विवि से तकनीक सीखकर हर्बल मेडिसिन की खेती कर रहे किसान

May 21 2018

 रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विवि का हर्बल मेडिसिल प्लांट गार्डन अब किसानों के लिए एक रिसर्च लैब की तरह साबित हो रहा है। यहां खेती-किसानी की नई तकनीक सीखने के साथ ही अब किसान अपने खेतों में भी मेडिसनल गार्डन तैयार कर रहे हैं। हर्बल मेडिसनल प्लांट से निकलने वाले तेलों के बारे में भी किसान जागरूक हो रहे हैं। इससे खेती कर रहे किसानों की आय में आने वाले दिनों में बढ़ोत्तरी होगी।

डॉ. एसएस टुटेजा की मानें तो (तकनीकी सलाहकार, अकास्टीय लघु वनोपज केंद्र, कृषि विवि) इस गार्डन से कई किसान लाभान्वित हो रहे हैं और ज्यादा फायदा पहुंचाने वाली प्रजातियों की खेती से भी जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही आम लोग भी यहां से औषधीय पौधों को खरीदकर अपने घर पर मेडिसनल गार्डन बना रहे हैं।

जापानी प्रजातियों का संरक्षण

विभाग प्रभारी की मानें तो विश्वविद्यालय में न सिर्फ प्रदेश की दुर्लभ प्रजातियों का, बल्कि जापानी प्रजातियों का भी संरक्षण हो रहा है। ये औषधीय पौधे कई मर्जों की दवा के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। जिसमें कई पौधों की पैदावार महासमुंद, कोरबा, जगदलपुर में किसान खेती के रूप में कर रहे हैं। विवि की औषधीय उद्यान वाटिका में 130 से ज्यादा सुगंध वाले और औषधीय पौधों का संरक्षण किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को सुगंधित तेल कैसे निकाला जाए, इसके बारे में भी बताया जा रहा है। वहीं इसमें कई लुप्त होती प्रजातियों के पौधे भी मौजूद हैं।

हर्बल गार्डन में लगी प्रमुख औषधियां

औषधि वाटिका की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के विभिन्ना क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियों को सुरक्षित रखना है। इसलिए अश्वगंधा, चित्रक, अकरकरा, चिरचिरा, बायडिंग, ब्राम्ही, पाषाणभेदी, गिलोय, गुडमार, घृतकुमारी, हरी चाय पत्ती आदि की उत्पादन पर विशेष ध्यान रखा जाता है।

औषधीय गुण वाले पौधों के संरक्षण, संवर्धन, उन्नत कृषि तकनीकी का विस्तार और इन दुर्लभ प्रजातियों के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। - डॉ. एस.एस. टुटेजा, तकनीकी सलाहकार, अकास्टीय लघु वनोपज केंद्र, कृषि विवि

 

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Source: Nai Dunia