कृषि विवि में धान की नर्सरी हो रही तैयार, बेहतर पैदावार के लिए किसान होंगे प्रशिक्षित

July 10 2018

 इंदिरा गांधी कृषि विवि धान की खेती में किसानों को दक्ष बनाने के लिए नर्सरी तैयार कर रहा है। इसके अंतर्गत लगभग 35-40 प्रकार के धान नर्सरी में लगाए गए हैं। इसके माध्यम से धान की पैदावार बढ़ाने के साथ पैदावार के समय किसानों को क्या सावधानी रखनी चाहिए, इस विषय में उन्हे प्रशिक्षित किया जाएगा। ज्ञात हो कि अनियमित बारिश ने इस बार प्रदेशभर के किसानों की चिंता बढ़ा दी है। पिछले वर्ष इस समय तक खेतों में रोपाई का कार्य शुरू हो गया था, लेकिन इस बार मानसून में देरी होने से खेत खाली पड़े हैं।

तकनीकी जानकारी लेना शुरू

बारिश की स्थिति को देखते हुए जिले के किसानों ने वैकल्पिक और कम पानी से उपजने वाली फसलों के बारे में तकनीकी जानकारी लेना शुरू कर दिया है। जुलाई अंत तक किसान वर्षा का इंतजार करने के पक्ष में हैं। धमतरी जिले के किसान जोखन साहू की माने तो इस वर्ष बारिश ने परंपरागत पैदावार को पीछे कर दिया है। अगर यही स्थिती रहेंगी तो पहली बार जिले में परंपरागत फसलों की जगह वैकल्पिक फसलें खेतों में उगाई जा सकती है।

जमीन गीली भी हुई तो बोएंगे बीज

जोखन साहू के तरह अन्य किसानों की माने तो जून माह के प्रारंभ में खेत तैयार कर लिए थे, लेकिन मानसून नहीं आने के कारण दुबारा जुताई करना पड़ेगा। किसानों ने खाद-बीज की पर्याप्त व्यवस्था कर ली है, लेकिन प्रकृति के रूठने के कारण उनकी तैयारियां धरी रह गई हैं। अब किसानों को इतनी जल्दी है कि जमीन गीली भी हुई तो वे बीज बो देंगे। लेकिन ऐसे में उत्पादन कमजोर होने की आशंका रहेगी।

खाद-बीज की तैयारी शुरू

कृषि विवि से जुड़े अधिकारियों की मानें तो किसान लगातार संपर्क में हैं। उन्हें बरसात का इंतजार करने को कहा जा रहा है। किसानों को समझाया जा रहा है कि यदि वर्षा में अत्यधिक देरी हुई तो परंपरागत फसलें छोड़कर वैकल्पिक फसलों की खेती को अपनाना बुरा नहीं है। इसके लिए कृषि विकास केंद्रों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हालांकि किसानों ने कृषि विभाग के सुझावों के अनुसार वैकल्पिक खाद7बीज की तैयारी शुरू कर दी है।

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Source: KhaskhabarJagran