कृषि उपज मंडियों के चुनाव टलेंगे, छह माह फिर बढ़ेगा कार्यकाल

April 27 2018

प्रदेश की 257 कृषि उपज मंडियों में सरकार फिलहाल चुनाव कराने के मूड में नहीं है। संचालक मंडल का समय छह माह बढ़ाने के बाद एक बार फिर कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी है। मई में समितियों के निर्वाचित संचालक और सदस्यों का कार्यालय समाप्त हो रहा है।

इस प्रकार अक्टूबर तक चुनाव नहीं कराने पड़ेंगे। इसी दरम्यान विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो जाएगी और फिर चुनाव नहीं कराने पड़ेंगे। कृषि उपज मंडियों में इस वक्त चना, मसूर, सरसों और गेहूं की खरीदी चल रही है। किसान फसल बेचने और गर्मी की फसल बोने की तैयारी में लगा है।

इसे आधार बनाकर मंडी समितियों के चुनाव टालने की कवायद चल रही है। सूत्रों का कहना है कि भले ही मंडियों के चुनाव दलीय आधार पर न होते हों पर इसमें राजनीतिक दलों का पूरी तरह दखल रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मंडी के चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन जाते हैं। ऐसे में सियासी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं और इसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। इसे देखते हुए पूरी संभावना है कि मंडियों के चुनाव फिलहाल नहीं कराए जाएं।

छह माह बाद बैठाने पड़ेंगे प्रशासक

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मंडी अधिनियम में निर्वाचित संचालक मंडल का कार्यकाल छह-छह माह कर दो बार बढ़ाया जाएगा। इसके बाद भी यदि चुनाव कराने की स्थितियां नहीं बनती हैं तो प्रशासक बैठाने पड़ेंगे। प्रशासकों को छह माह के भीतर चुनाव कराने होंगे।

अक्टूबर 2018 में मंडी समितियों का दूसरी बार बढ़ाया गया समय पूरा होगा। चूंकि, अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने की संभावना है, इसलिए मंडियों को प्रशासकों के हवाले कर दिया जाएगा। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद फरवरी में चुनाव कराया जा सकता हैं, क्योंकि तब किसान भी ज्यादा व्यस्त नहीं रहेंगे।

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Source: Naiduniya