किसान साल भर कमा सकते हैं बेबी कॉर्न से अधिक लाभ

June 20 2018

कम समय व कम लागत में अच्छी आय के लिए किसानों के लिए बेबीकॉर्न की खेती एक अच्छा विकल्प है। दिसम्बर एवं जनवरी माह को छोड़कर बेबीकॉर्न की बुवाई पूरे वर्ष की जा सकती है। बेबीकॉर्न शब्द का तात्पर्य प्रारम्भिक अवस्था के भुट्टे से है, जिसकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती मांग के चलते अगर किसान इसका उत्पादन करें तो सामान्य मक्का की अपेक्षा अधिक शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 

कृषि महाविद्यालय के मक्का वैज्ञानिक डा. अमित भटनागर ने बताया कि एक हैक्टेयर कृषि भूमि में बेबीकॉर्न पैदा करने के लिए लगभग 40-45 कि.ग्रा. बीज की आवष्यकता होती है, जिससे लगभग 1.25 लाख पौधे प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बेबीकॉर्न की वीएलबीसी-1 एवं एचएम-4 किस्म उपयुक्त हैं। बुवाई के लिए लाईन से लाईन की दूरी 45-50 से.मी. और पौधे से पौधों की दूरी 15-20 से.मी. होनी चाहिए। पोषक तत्व प्रबंधन हेतु 180 कि.ग्रा. नत्रजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 40 कि.ग्रा. पोटैशियम प्रति हैक्टयर की आवश्यकता होती है, जिसमें नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा बुवाई के समय और शेष मात्रा को दो से तीन बार में 4 से 5 पत्ती की अवस्था, घुटने की ऊंचाई की अवस्था तथा नर मंजरी निकलते समय देनी चाहिए।

बेबी कॉर्न के पौधों में जब नर मंजरी यानि झण्डा बाहर निकले तो उसे तोड़ देना चाहिए। इसे पशुओं को भी खिला सकते है। बेबी कॉर्न की तुड़ाई के लिए किसान कुछ बातों का ध्यान रखें। भुट्टे की बाल (सिल्क) जब 2-3 से.मी. की हो तब तुड़ाई करे। तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें जब तापमान कम होता है। एक पौधे से दो से तीन बेबीकार्न प्राप्त हो जाते हैं। अतः बेबीकार्न की फसल में दो से तीन बार तुड़ाई करनी चाहिए। इसके बाद जो भुट्टे आते हैं, उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है। अच्छी गुणवत्ता वाले बेबी कार्न की लम्बाई 5.0 से 7.0 से.मी. होती है तथा मोटाई 1.0 से 1.5 से.मी. रहती है। खरीफ ऋतु में बेबीकॉर्न की तुड़ाई बुवाई के 45 से 50 दिन बाद कर सकते हैं। भुट्टा तोड़ते समय उसके ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए। पत्तियां हटाने से ये जल्दी खराब हो जाते हैं। बेबीकॉर्न को तुड़ाई के बाद छायादार और हवादार जगहों पर रखना चाहिए, साथ ही ठण्डी जगह पर बेबीकॉर्न का भण्डारण करना चाहिए। छिलका उतारने के बाद बेबीकॉर्न को ढेर लगाकर नहीं रखना चाहिए। बेबीकॉर्न की उपज इसकी किस्मों की क्षमता और मौसम पर निर्भर करती है। एक हैक्टेयर क्षेत्र से औसतन 60 क्विंटल बेबीकॉर्न छिलके सहित प्राप्त होती है। वहीं छिलका हटाकर इससे 12-14 क्विंटल बेबीकॉर्न मिलता है। 70 रूपये प्रति कि.ग्रा. की दर से इसे बेचने पर 84,000 रूपये प्रति हैक्टेयर प्राप्त होते हैं और लागत लगभग 30,000-35,000 रूपये आती है। अतः बेबी कॉर्न से 50,000 रूपये प्रति हैक्टेयर शुद्ध लाभ मिलता है। बेबीकॉर्न की तुड़ाई के बाद पौधों से पशुओं के लिए हरा चारा भी प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार यह फसल किसानों को कम समय में अधिक लाभ देती है।

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Source: Krishi Jagran