कर्जमाफी कृषि संकट का हल नहीं - नीति आयोग

December 25 2018

 कुछ राज्य सरकारोंं की ओर से कर्जमाफी की घोषणा के बीच नीति आयोग ने गतदिनों कहा कि सरकारों के इस कदम से किसानों के एक तबके को ही फायदा होगा और यह कृषि संकट का समाधान नहीं है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री राजीव कुमार ने अपनी नए भारत की रणनीति-75 दस्तावेज जारी करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के संकट का समाधान कृषि कर्ज माफी नहीं है। यह समाधान नहीं, अस्थायी उपचार है। नीति आयोग के सदस्य और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ श्री रमेश चंद ने कहा कि कर्जमाफी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे किसानों के एक बहुत छोटे तबके को ही फायदा मिलेगा। 

श्री चंद ने कहा कि गरीब राज्यों में सिर्फ 10-15 प्रतिशत किसानों को कृषि कर्जमाफी का लाभ हुआ है क्योंकि ऐसे राज्यों में बहुत मामूली किसानों को संस्थागत ऋण मिलता है। तमाम राज्यों में किसानोंं का 25 प्रतिशत कर्ज भी संस्थागत नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि जब आप राज्यों में संस्थागत कर्ज तक किसानोंं की पहुंच को लेकर इस तरह का अंतर पाते हैं तो ऐसे में कृषि कर्जमाफी पर बहुत ज्यादा पैसे खर्च करना लाभदायक नहीं होता है। श्री चंद ने कहा कि यहां तक कि सीएजी रिपोर्ट कहती है कि कृषि कर्जमाफी से मदद नहीं मिलती। कर्जमाफी कृषि क्षेत्र के संकट के  समाधान का तरीका नहीं है।

कुमार और चंद दोनों ने कहा कि आयोग कृषि मंत्रालय को सुझाव देगा कि राज्यों के सुधार के कदमों से धन के आवंटन को जोड़े, जो उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए उठाए हैं।  नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगडिय़ा ने भी किसानों की कर्जमाफी के खिलाफ राय दी है। उन्होंने ट्वीट किया, निचले स्तर पर दुखद दौड़ शुरू हो चुकी है। अगर कर्जमाफी से बुनियादी दिक्कतें दूर होती तो यह स्वागतयोग्य कदम होता। लेकिन अगर स्वतंत्रता के 70 साल बाद किसान दबाव में बना हुआ है तो हमें अलग समाधान निकालने की जरूरत है। 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत - Krishak Jagat