कपास बुआई रकबे में आ सकती है भारी गिरावट

May 28 2018

 देश में इस बार कपास की खेती के रकबे में गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है। उत्‍तर भारत में प्रमुख उत्‍पादक राज्‍यों पंजाब, हरियाणा और राजस्‍थान में नहरी पानी न मिलने से किसान कपास की बुआई नहीं कर पाए हैं। गुजरात और महाराष्‍ट्र में पिंक बॉल वर्म से पिछले साल फसल बुरी तरह खराब होने के कारण किसान इस बार कपास से मुंह मोड़ सकते हैं, ऐसा अनुमान जानकार लगा रहे 

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक कपास की बुवाई 7.82 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 11.24 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। अगर हम बात उत्‍तर भारत की करें तो पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के मुताबिक प्रदेश में चालू बिजाई सीजन 2018-19 में कपास का रकबा 3.25 लाख हेक्टेयर तक रह सकता है। विभाग ने चार लाख हेक्टेयर में कपास की खेती करने का लक्ष्‍य रखा था। 22 मई तक पंजाब में 2.42 लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई हो चुकी थी। यह पिछले साल की समान अवधि के रकबे 2.80 लाख हेक्टेयर से 13.57 फीसदी कम है।

पंजाब के पड़ोसी हरियाणा में 22 मई 2018 तक 4.97 लाख हेक्टेयर रकबे में कपास की बुआई की गई है। यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले कम है क्‍योंकि पिछले साल प्रदेश में अब तक 5.33 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हो चुकी थी। हरियाणा में इस साल 6.48 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य रखा गया है।

राजस्थान के दो प्रमुख कपास उत्‍पादक जिलों श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ अभी तक 1.05 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुआई हुई है। पिछले साल के मुकाबले बुआई करीब 20 फीसदी कम हुई है। समय पर नहरों में पानी नहीं आने से बुआई पिछड़ी है।

25 फीसदी की हो सकती है कमी

कपास कपास कारोबार में लगे लोगों की मानें तो इस बार उत्‍तर भारत में पिछले साल के मुकाबले करीब 25 फीसदी कम रकबे पर कपास की खेती होगी। भाखड़ा डैम से निकलने वाली नहरों के बंद रहने से इस बार किसान कपास की बुआई नहीं कर पाए। कपास का सीजन 15 अप्रैल से 15 मई तक होता है। पछेती बिजाई करने से किसान कतराते हैं क्‍योंकि पछेती फसल में बीमारी ज्‍यादा लगती है। पिछले साल धान के रेटों में आए उछाल से कुछ कपास उत्‍पादक किसान कपास छोड़कर धान भी लगाएंगे। इससे भी कपास का रकबा कम होगा।

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Source: Infopatrika